कार्मिक मंत्रालय ने अपने जारी आदेश में कहा है कि ऐसा देखा गया है कि सरकारी सेवाओं से सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन पाने में अक्सर देरी हो जाती है क्योंकि इस दौरान उन्हें कई विभागों और अधिकारियों की जांच से गुजरना पड़ता है। मौजूदा नियम यह रखा गया है कि किसी कर्मचारी की 18 साल की सेवा पूरी होने के बाद उसे पात्रता सेवा से संबंधित प्रमाण-पत्र जारी किए जाते हैं और यही प्रक्रिया उसकी सेवानिवृत्ति की तारीख से ठीक पांच साल पहले शुरू हो जाती है।
इस नियम के तहत होने वाली जांच को अंतिम माना जाएगा और नियमों और आदेशों में जब तक पर्याप्त बदलाव न किए जाएं, उनकी दोबारा जांच नहीं की जाएगी। मंत्रालय के मुताबिक, इस अंतिम आदेश के आधार पर ही कर्मचारी को पेंशन पाने का हकदार माना जाएगा।
मंत्रालय ने बताया, ‘ऐसा देखा गया है कि पात्रता सेवा से संबंधित प्रमाण-पत्र नियमों के मुताबिक अनिवार्य रूप से सरकारी कर्मचारियों को जारी नहीं किए जाते हैं। लिहाजा सभी मंत्रालयों, विभागों आदि से अनुरोध किया जाता है कि वे इन नियमों के सख्ती से पालन के लिए विभाग प्रमुखों, भुगतान एवं लेखा अधिकारियों के ध्यानार्थ इस प्रावधान को लाएं। इन वैधानिक आवश्यकताओं का पालन नहीं करने वालों पर सख्ती बरती जाएगी।’
इस आदेश में कहा गया है कि सभी मंत्रालयों ने 15 अक्टूबर तक लंबित कर्मचारियों की सेवा संबंधी जांच की प्रक्रिया पूरी कर ली है। देश में 50 लाख केंद्रीय कर्मचारी हैं जबकि 56 लाख पेंशनभोगी हैं।