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मुद्रास्फीति जनवरी में गिरकर शून्य से 0.9 प्रतिशत से नीचे रही

थोक मूल्य मुद्रास्फीति में चार महीने से चल रहा तेजी का सिलसिला जनवरी में टूट गया और इस महीने यह घटकर शून्य से 0.9 प्रतिशत नीचे रही। खाद्य उत्पादों, मुख्य तौर पर सब्जियों और दलहन के सस्ते होने से जनवरी में थोक मुद्रास्फीति नरम पड़ी है।
मुद्रास्फीति जनवरी में गिरकर शून्य से 0.9 प्रतिशत से नीचे रही

थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर में शून्य से 0.73 प्रतिशत नीचे थी। जनवरी 2015 में यह शून्य से 0.95 प्रतिशत नीचे थी। नवंबर 2014 से यह लगातार 15वां महीना है जबकि मुद्रास्फीति शून्य से नीचे चल रही है। आज यहां जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक थोक मूल्यों पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति जनवरी माह में 6.02 प्रतिशत रही जो दिसंबर में 8.17 प्रतिशत पर थी।

 

दाल दलहनों और प्याज के मामले में मुद्रास्फीति घटकर क्रमश: 44.91 प्रतिशत और 5.51 प्रतिशत रही। जनवरी माह में सब्जियों के थोक मूल्य सालाना आधार पर 12.52 प्रतिशत उंचे रहे जबकि फलों के थोक मूल्यों का स्तर साल भर पहले से 2.32 प्रतिशत नीचे रहा। आलू के दाम 17.08 प्रतिशत नीचे रहे जबकि अंडे, मांस एवं मछली में 5.69 प्रतिशत महंगाई रही। ईंधन एवं बिजली खंड में मुद्रास्फीति शून्य से 9.21 प्रतिशत नीचे और विनिर्मित उत्पादों की महंगाई दर शून्य से 1.18 प्रतिशत नीचे रही।

 

 संशोधित अनुमानों में नवंबर की थोक मुद्रास्फीति शून्य से 2.04 प्रतिशत नीचे रही। प्रारंभिक अनुमानों में यह शून्य से 1.99 प्रतिशत नीचे बताई गई थी। पिछले सप्ताह जारी खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े जनवरी में लगातार छठे महीने बढ़कर डेढ़ साल के उच्चतम स्तर 5.69 प्रतिशत पर पहुंच गई। केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति तय करने में अब मुख्य तौर पर खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर ध्यान देता है। आरबीआई औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों पर भी विचार करता है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में दिसंबर के दौरान 1.3 प्रतिशत का संकुचन हुआ जबकि नवंबर में इसमें 3.4 प्रतिशत की गिरावट हुई थी।

 

 

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