इसे देखते हुए रिजर्व बैंक की स्थापना के 80 साल पूरा होने का समारोह दोनों खेमों के लिए खास था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तो इस समारोह में राजन की जमकर तारीफ की मगर राजन अपनी बारी आने पर यह कहने से नहीं चूके कि रिजर्व बैंक जैसी संस्था की रक्षा होनी चाहिए। कार्यक्रम में मोदी ने कहा कि राजन इतने सक्षम शिक्षक हैं कि महज कुछ स्लाइडों में अपनी बात अच्छी तरह समझा देते हैं। दूसरी ओर जेटली ने रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन और उनकी टीम तथा बैंक के पूर्व गवर्नरों को देश को आर्थिक रूप से सबल बनाने में उनके योगदान के लिए बधाई दी। जब राजन की बारी आई तो उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक व सरकार के बीच हमेशा रचनात्मक बातचीत होती है। इतिहास में यह दर्ज है कि सभी सरकारों ने रिजर्व बैंक की सलाह की बुद्धिमत्ता की सरहाना की है। लेकिन यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि मजबूत राष्ट्रीय संस्थानों का निर्माण काफी मुश्किल से होता है। ऐसे में मौजूदा संस्थाओं की बाहर से भी हिफाजत की जानी चाहिए तथा अंदर से इनमें नई शक्ति पैदा की जानी चाहिए क्यों कि ऐसी संस्थाओं की संख्या बहुत कम है।
मुंबई में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के किसानों के प्रति अपनी चिंता भी जताई और बैंकों से कहा कि गरीबों को ऋण देने व उनसे ऋण की वसूली करते समय बैंक सहयोग पूर्ण रुख अपनाएं। प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीबों की मदद करने से बैंक बंद नहीं हो जाएंगे। मोदी ने कहा, ऐसे समय में जब रिजर्व बैंक अपनी 80वीं वर्षगांठ मना रहा है, क्या हम अपने अंदर यह चिंतन कर सकते हैं कि हम अपने बैंकिंग क्षेत्र का इतना विस्तार कर दें कि किसी भी किसान को कर्ज के भारी बोझ के चलते आत्महत्या न करनी पड़े। क्या हम यह सपना नहीं देख सकते। मैं नहीं मानता कि गरीबों की मदद कर कोई बैंक दिवालिया हो सकता है।
मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री जनधन योजना और एलपीजी सब्सिडी के प्रत्यक्ष लाभ अंतरण की सफलता से बैंकिंग क्षेत्र की उस जबरदस्त भूमिका का पता चलता है जो वह वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने में अदा कर सकता है। उन्होंने कहा कि आर्थिक और सामाजिक मानकों के साथ भौगोलिक मानकों एवं वित्तीय समावेशन पर भी विचार करने की जरूरत है। पूर्वी भारत में जबरदस्त आर्थिक संभावनाएं हैं और बैंकिंग क्षेत्र को इस बात की पहचान कर इसके लिए योजना बनानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने अपने मेक इन इंडिया अभियान के तहत आरबीआई को यह सुनिश्चित करने की पहल करने का अनुरोध किया कि भारत करेंसी नोटों की छपाई में इस्तेमाल होने वाले कागज व स्याही का विनिर्माण खुद शुरू कर सके।
इस मौके पर पिछले आठ दशकों में वृहद आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए रिजर्व बैंक की सराहना करते हुए अरुण जेटली ने कहा कि केंद्रीय बैंक के पेशेवर रुख से देश का भला हुआ है। जेटली ने कहा, वर्ष 1935 में शुरुआत से ले कर आज तक, देश के राजकाज से जुड़े कार्यों का एक बड़ा हिस्सा रिजर्व बैंक के कंधों पर ही रहा है। मौद्रिक नीति के प्रबंधन से लेकर, मुद्रास्फीति, प्रमुख दरों के अलावा बैंकिंग क्षेत्र का नियमन और लोक ऋण का प्रबंधन, ये ऐसे कामकाज हैं जो कि रिजर्व बैंक ने पिछले 80 साल की लंबी यात्रा के दौरान बेहतर ढंग से किए हैं।
समारोह में आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने ढांचागत क्षेत्र की परियोजनाओं को अत्यधिक ऋण देने को लेकर बैंकों को सचेत किया क्योंकि इन परियोजनाओं को अत्यधिक ऋण देने से बैंकों की वित्तीय स्थिरता प्रभावित हो सकती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी रिजर्व बैंक की ईमानदारी पर सवाल नहीं उठा सकता। रिजर्व बैंक में लॉबिंग के दौरान जो सिक्का चलता है उसका नाम है गहराई व तर्क, इसमें पैसा कहीं नहीं होता। गवर्नर ने कहा कि रिजर्व बैंक ने कई मोर्चों पर सफलता हासिल की है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण मुद्रास्फीति का मोर्चा है जिस पर अनाज की कमी, तेल कीमतें व युद्ध के बावजूद सफलता मिली है।