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आखिर क्यों निवेशकों को एसआईपी निवेश में रखना चाहिए धैर्य

पिछले चार वर्षों में जो खुदरा निवेशक एसआईपी या अलग तरीके से इक्विटी में आए हैं, उन्होंने आमतौर पर अच्छी...
आखिर क्यों निवेशकों को एसआईपी निवेश में रखना चाहिए धैर्य

पिछले चार वर्षों में जो खुदरा निवेशक एसआईपी या अलग तरीके से इक्विटी में आए हैं, उन्होंने आमतौर पर अच्छी बढ़त बनाई है। लेकिन हालिया दौर में बाजारों में उतार-चढ़ाव आया और इनमें से कई निवेशक अपने निवेश के बारे में पुनर्विचार कर रहे हैं कि क्या मुझे सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप) को जारी रखना चाहिए? क्या यह बेहतर नहीं होगा कि बाजार में तेजी आने तक मैं एसआईपी को रोक दूं? ऐसे तमाम सवालों और भ्रमों से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम एसआईपी को गुणात्मक (क्वालिटेटिव) विधि के नजरिए से देखें क्योंकि आखिरकार, केवल एक चीज जो हमें निवेश से दूर करती है, वह नकारात्मक रिटर्न का विचार ही है।

पिछले साल एक स्वतंत्र म्यूचुअल फंड रिसर्च हाउस ‘वैल्यू रिसर्च’ (वीआर) ने 1992 से 2017 तक के पिछले 25 वर्षों में वास्तविक रिटर्न के आधार पर डाइवर्सिफाइड इक्विटी फंडों के एसआईपी प्रदर्शन का विश्लेषण किया था। इस अवधि के दौरान 2001 और 2008 (वैश्विक वित्तीय संकट) में दो प्रमुख मंदी वाले बाजार देखे गए और 1999-2000, 2004-2007 और 2014-2016 में कई तेजी के बाजार रहे। इस विश्लेषण ने एसआईपी निवेश के बारे में दिलचस्प अवलोकन सामने रखे। आमतौर पर एक अच्छे स्वतंत्र वित्तीय सलाहकार से बात करना सबसे अच्छा होता है और वे इन पहलुओं पर अधिक विस्तार से बता सकते हैं।

सब्र का फल मीठा होता है

जब भी म्यूचुअल फंड के बारे में बातचीत होती है, तो बाजार विशेषज्ञ और वित्तीय सलाहकार हमेशा लंबी अवधि के निवेश और निवेश सफर के दौरान धैर्य रखने की खूबियों की ओर इंगित करते हैं। इसके पीछे ठोस वजहें हैं। वीआर ने आंकड़ों के मंथन से पाया कि विविधतापूर्ण इक्विटी फंडों में 10 साल की अवधि में एसआईपी के केवल 0.3% मामलों में नकारात्मक रिटर्न मिला। इसके अलावा, यदि कोई चार से ज्यादा वर्षों के लिए निवेश में बने रहने के लिए तैयार हो, तो सकारात्मक रिटर्न मिलने की कम से कम 90% संभावना होती है। इसलिए, अगर एसआईपी निवेश एक दशक तक जारी रहता है, तो घाटा देने वाले निवेश में होने की आशंका लगभग शून्य ही है।

यदि एसआईपी 4 साल और उससे अधिक का होता है, तो दहाई अंकों में रिटर्न मिलने की संभावना काफी प्रबल होती है।

रिसर्च में पाया गया कि अगर कोई चार साल या उससे अधिक समय तक एसआईपी जारी रखता है, तो दहाई अंकों में रिटर्न पाने के कम से कम 62% आसार होते हैं। निवेश सीमा को 10 साल तक बढ़ा दिया जाए, तो फिर एसआईपी निवेशक के पास 10% से ज्यादा लाभ कमाने की 77% संभावना होती है। सामान्य तौर पर, किसी टिपिकल एसआईपी में धैर्य रखने वाले निवेशक को 15-19% लाभ होता है।

बाजार के चक्रों के दौरान निवेश में बने रहें

'बाजार के सही समय' की तुलना में 'बाजार में समय' ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। जो निवेशक इस बात को लेकर चिंता करते हैं कि उन्होंने बाजार के शीर्ष पर निवेश किया है या नहीं, उन्हें याद रखना चाहिए कि अगर आप एक लंबी दौड़ में हैं, तो यह बात कोई मायने नहीं रखती। यह केवल तभी मायने रखता है जब आप 1-2 साल की समय सीमा के साथ आए हैं और इस अवधि के लिए हमेशा कोई डेट फंड होता है, जिस पर आप विचार कर सकते हैं। चलिए, वीआर के निष्कर्षों पर वापस लौटते हैं। जिन निवेशकों ने 2007 के चरम पर अपने एसआईपी निवेश की शुरुआत की, दो साल के अंत में पाया गया कि निवेश किए गए एसआईपी का भी 60% टूट गया था। इसके आगे, 2011 तक, 99% निवेशकों ने बाजार के चरम पर किए गए अपने निवेश से कमाई की। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि अगर किसी दीर्घकालिक सीमा के साथ निवेश किया जाता है, तो बाजार की अस्थिरता को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं होती है। महत्वपूर्ण है कि बाजार चक्र में निवेश में बने रहा जाए और अपने निवेश को लाभ के लिए काम करने दिया जाए।

निवेश करें लेकिन मार्गदर्शन लेकर

एक खुदरा निवेशक के रूप में सबसे महत्वपूर्ण होता है अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुरूप किसी एसआईपी की सही प्रकार की स्कीम का चयन करना। इसलिए, अगर कोई निवेशक उपलब्ध विभिन्न निवेश उत्पादों से अच्छी तरह से वाकिफ नहीं है, तो सबसे अच्छा होगा कि वह पहले वित्तीय सलाहकार से मार्गदर्शन ले। ऐसा इसलिए है क्योंकि कोई सलाहकार आपकी वित्तीय जरूरतों का आकलन करने और आपकी अपेक्षाओं के अनुरूप उत्पाद की सिफारिश करने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में होता है। सफर यहीं खत्म नहीं हो जाता। समय-समय पर आपके निवेश संबंधी निर्णयों की समीक्षा करना एक अन्य गतिविधि है, जो समान रूप से महत्वपूर्ण है। 

निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि एसआईपी के माध्यम से लंबी अवधि में निवेश करने का सामान्य-सा कदम चमत्कार कर सकता है, क्योंकि यह आपको अनुशासित तरीके से छोटी धनराशियों में निवेश करते रहने के लिए बाध्य करता है। बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है। इसी तरह एक-एक करके बढ़ते हुए एसआईपी से अंतत: बड़ी दौलत बनाई जा सकती है। वास्तव में, आप चक्रवृद्धि (कंपाउंडिंग) और औसत (एवरेजिंग) की शक्ति का लाभ उठाते हैं और इस सबसे बढ़कर आप अनुशासित होते हैं।

 

(लेखक आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल एएमसी के एमडी और सीईओ हैं।)

 

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