केंद्रीय बजट में सुपर रिच नागरिकों पर आयकर सरचार्ज बढ़ाने का प्रस्ताव किए जाने के बाद शेयर बाजार में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। इसकी घोषणा के बाद 2000 करोड़ रुपये के विदेशी फंड निकाले जा चुके हैं। इस कर प्रस्ताव का असर फॉरेन पोर्टफोलिया निवेशकों (एफपीआइ) पर पड़ रहा है। इस वजह से शेयर बाजारों पर भी दबाव आ रहा है। बजट आने के बाद से बाजार करीब 2.70 फीसदी गिर चुके हैं। हालांकि शुक्रवार को कारोबार के दौरान बीएसई सेंसेक्स 266 अंकों की तेजी लिए हुए था।
विदेश के अच्छे संकेतों पर भारी पड़े घरेलू कर प्रस्ताव
अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर और घटने के संकेत दिए हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इससे भारत समेत उभरते बाजारों में विदेशी निवेश बढ़ना चाहिए। लेकिन सुपर रिच पर सरचार्ज बढ़ाए जाने से भारत में विदेशी फंड के प्रवाह पर नकारात्मक असर पड़ने का अंदेशा है। कोटक सिक्योरिटीज के रिसर्च प्रमुख रुसमिक ओजा का कहना है कि उन्हें विदेशी संस्थागत निवेशकों की ओर से पैसा निकाले जाने की संभावना है क्योंकि फेडरल रिजर्व के संकेतों से कहीं ज्यादा असर आयकर संबंधी प्रस्ताव का होगा।
सरचार्ज में बढ़ोतरी वापस होने के संकेत नहीं
विदेशी संस्थागत निवेशकों के बिकवाली के मोड में बने रहने की संभावना है क्योंकि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरचार्ज बढ़ाने के प्रस्ताव में किसी तरह के बदलाव की संभावना से इनकार किया है। सीबीडीटी के चेयरमैन पी. सी. मोदी ने दबाव महसूस कर रहे बाजार को सांत्वना देते हुए इस सप्ताह के शुरू में कहा कि यह प्रस्ताव एफपीआइ के लिए नहीं है। आयकर के बेस रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। महज सरचार्ज बढ़ाया गया है। इसका असर कोई होगा तो एआइएफ कैटागरी-3 के एफपीआइ पर होगा। इसमें विकल्प मौजूद है कि वे कॉरपोरेट स्ट्रक्चर में बदलाव कर सकते हैं। किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं है।
राहत नहीं मिली तो भारत से और ज्यादा पूंजी निकलने का अंदेशा
इसके जवाब में ओजा का कहना है कि कॉरपोरेट स्ट्रक्चर में बदलाव समस्या का समाधान नहीं है। सरचार्ज में बढ़ोतरी नकारात्मक असर है क्योंकि 40-50 फीसदी विदेशी संस्थागत निवेशक नॉन-कॉरपोरेट हैं। उनके कैपिटल गेन की आय काफी ज्यादा होती है, जब तक वे अपने कामकाज को कंपना में तब्दील न कर लें। ओजा का कहना है कि ज्यादातर लोग भारत से बाहर निकलने पर सोचेंगे क्योंकि यहां लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स 12 से बढ़ाकर 14 फीसदी और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स 17 फीसदी से बढ़ाकर 19 फीसदी किया जा रहा है। अगर, इस प्रस्ताव पर सरकार से कोई स्पष्टीकरण नहीं आता है और विधेयक पास हो जाता है तो भारतीय बाजारों से भारी निवेश निकल जाएगा।
लेकिन मौजदा बिकवाली के लिए सुस्ती भी जिम्मेदार
एसएमसी ग्लोबल के एवीपी (रिसर्च) सौरभ जैन का कहना है कि एफपीआइ इन दिनों बिकवाली के मूड में हैं। मोटे तौर पर इसके बाजार की नकारात्मक स्थितियों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। निवेशकों पर टैक्स बढ़ाना अलग मुद्दा हो सकता है। लेकिन बाजार इस समय अर्थव्यवस्था में मांग की कमी के कारण सुस्त पड़े हैं। कंपनियों के तिमाही नतीजों और एफपीआइ के निवेश से आगे की दिशा तय होगी।
बजट में 42.74 फीसदी तक आयकर लगाने का प्रस्ताव
इसके विपरीत एचडीएफसी सिक्योरिजी के दीपक जसानी का कहना है कि एफपीआइ की बिकवाली की आशंका बजट के प्रतिकूल प्रस्ताव के कारण है। इसका फिलहाल असर बना रह सकता है। सरकार ने पिछले शुक्रवार को बजट में सुपर रिच करदाताओं पर सरचार्ज बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। दो करोड़ से पांच करोड़ रुपये तक सालाना आय पर सरकार 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी किया गया है। जबकि पांच करोड़ से ज्यादा आय पर सरचार्ज 15 फीसदी से बढ़ाकर 37 फीसदी किया गया है। इससे सुपर रिच की निचली कैटागरी में कुल टैक्स देनदारी 39 फीसदी और उच्च कैटागरी में 42.74 फीसदी होगी। चूंकि ज्यादातर एफपीआइ की सालाना आय पांच करोड़ रुपये से ज्यादा होती है। इसलिए वे आयकर के सर्वोच्च स्लैब में आएंगे। ये करदाता अपनी आय को ट्रस्ट या व्यक्तियों के संगठन के तौर पर दिखाते हैं। सरकार के प्रस्ताव में इन पर भी उच्च दर से टैक्स लगेगा।