देशव्यापी लॉक डाउन के पहले दिन बुधवार को भारत के शेयर बाजारों ने तेजी का 11 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। बीएसई का सेंसेक्स 1861.75 अंक बढ़कर 28535.78 पर पहुंच गया। निफ़्टी में 496.75 अंकों की बढ़त रही और यह 8297.80 पर बंद हुआ। फ़ीसदी में देखें तो सेंसेक्स में 6.98 फ़ीसदी और निफ्टी में 6.37 फ़ीसदी की बढ़त रही। शेयर के लिहाज से देखा जाए तो रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर सबसे ज्यादा 13.56 फ़ीसदी बढ़कर बंद हुए। बढ़त दर्ज करने वाले अन्य शेयरों में एचडीएफसी बैंक, कोटक बैंक और मारुति प्रमुख रहे। सेंसेक्स के 30 में से 5 शेयरों में गिरावट भी आई। इनमें इंडसइंड बैंक, ओएनजीसी, एचसीएलटेक, आईटीसी और बजाज ऑटो शामिल हैं।
इस तेजी में मंगलवार को अमेरिकी बाजारों में रिकॉर्ड तेजी का भी असर है। अमेरिकी मीडिया में खबरें हैं कि ट्रंप प्रशासन कोरोना वायरस के असर को देखते हुए 2 ट्रिलियन डॉलर के पैकेज पर विचार कर रहा है। यह अमेरिका की जीडीपी के 10 फ़ीसदी के बराबर होगा। इसके बाद मंगलवार को अमेरिकी शेयर बाजार के इंडेक्स करीब 87 साल की रिकॉर्ड तेजी के साथ बंद हुए। अमेरिकी पैकेज की उम्मीद में बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड के दाम भी करीब 3 फ़ीसदी बढ़कर $28 प्रति बैरल हो गए।
बीएससी का सेंसेक्स 625.41 अंक बढ़कर खुला लेकिन थोड़ी ही देर में यह बढ़त गिरकर करीब 150 अंकों की रह गई और इंडेक्स 26,500 के आसपास आ गया। करीब 10:45 बजे सेंसेक्स नेगेटिव जोन में आ गया। हालांकि बाद में फिर तेजी लौट आई। मंगलवार को भी सेंसेक्स 692.79 अंक बढ़कर 26,674.03 पर बंद हुआ था। निफ्टी में 190.80 अंकों की तेजी रही और यह 7,801.05 पर बंद हुआ था। विदेशी निवेशकों ने 2,153 करोड़ रुपए के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की।
लॉक डाउन का, शॉर्ट टर्म में अर्थव्यवस्था पर होगा व्यापक असर
ट्रेडर्स का कहना है कि निवेशक 21 दिनों के लॉकडाउन के असर का अनुमान लगा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार की शाम 3 हफ्ते के लिए देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी जो 25 तारीख की रात 12:00 बजे से शुरू हो गई है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजिस्ट वीके विजय कुमार ने कहा कि 21 दिनों तक पूरे देश में लॉकडाउन जारी रखना एक बड़ी चुनौती होगी। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था पर इसका शॉर्ट टर्म असर बहुत ज्यादा होगा।
अमेरिका में हालात 1930 की महामंदी के बाद सबसे खराब
कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हो रहा है उसे कम करने के लिए अमेरिका में ट्रंप प्रशासन 2 लाख करोड़ डॉलर के पैकेज पर विचार कर रहा है। इस चर्चा के बाद मंगलवार को डाऊ जोंस में 11 फ़ीसदी की बढ़त दर्ज की गई जो 1933 के बाद सबसे ज्यादा है। इसके बाद बुधवार को एशिया के प्रमुख बाजारों में टोक्यो में 5.7 फ़ीसदी की तेजी रही। शंघाई, हांगकांग, सिंगापुर और वेलिंगटन के बाजारों में 2 फ़ीसदी से अधिक की बढ़त रही। दरअसल, निवेशकों को लग रहा है कि फेडरल रिजर्व और ट्रंप प्रशासन के बाद दूसरे देश बड़े कदम उठाएंगे। अमेरिका में मौजूदा हालात को 1930 की महामंदी के बाद सबसे खराब माना जा रहा है। इसलिए प्रत्येक वयस्क को 1,200 डॉलर और बच्चों को 500 डॉलर भुगतान करने पर विचार हो रहा है ताकि बेरोजगार हो रहे लोगों को जीवनयापन में मदद मिल सके।