आम चुनाव के बाद राजनीतिक स्थिरता आने के बाद केंद्रीय बजट से उम्मीद थी कि अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलेगी और आर्थिक मोर्चे पर बेहतरी दिखाई देगी लेकिन अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन के तात्कालिक मोर्चे शेयर बाजार की गिरावट इसके विपरीत हालात बयां कर रही है। पांच जुलाई को बजट पेश होने के बाद से मुंबई शेयर बाजार के संवेदी सूचकांक यानी सेंसेक्स में करीब 1850 की गिरावट आ चुकी है। वैसे तो कु्छ अंतरराष्ट्रीय कारक इस गिरावट के लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं, लेकिन बाजार का उत्साही माहौल खुद बजट ने ही छीन लिया है। आम लोगों की जेब में ज्यादा पैसा आने से अर्थव्यवस्था को फायदा होने की उम्मीद के बावजूद बाजार का मूड सुधरने का नाम नहीं ले रहा है।
चार फीसदी गिर चुके हैं बाजार
सोमवार को सेंसेक्स 196.42 अंक गिरकर 37,686.37 के स्तर पर रह गया। एनएसई का निफ्ट भी 92.15 अंक के नुकसान के साथ 11,192.15 पर रह गया। बजट के बाद से सेंसेक्स करीब 1950 अंक और निफ्टी 600 अंक लुढ़क गया। पिछले तीन हफ्ते में लगातार गिरावट आने से सूचकांक करीब चार फीसदी गिर चुके हैं।
टैक्स की चिंता अर्थव्यवस्था की बेहतरी पर भारी
सात फीसदी की प्रभावशाली ग्रोथ रेट की उम्मीद के साथ देश की अर्थव्यवस्था 2.9 ट्रिलियन डॉलर (203 लाख करोड़ रुपये) से आगे बढ़कर 5 ट्रिलियन डॉलर (350 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचने की संभावना से भी बाजार में कोई उत्साह नहीं दिखाई दे रहा है। कंपनियों को कॉरपोरेट टैक्स घटकर 25 फीसदी होने की उम्मीद थी लेकिन बजट में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। पिछले वर्षों की तरह इस साल भी 25 फीसदी टैक्स के लिए कारोबार सीमा और बढ़ाकर 400 करोड़ रुपये कर दी गई। इससे कुछ और कंपनियों को राहत मिल गई लेकिन देश की शीर्ष कंपनियों को निराशा ही हाथ लगी क्योंकि उन्हें 30 फीसदी टैक्स ही भरना होगा।
बायबैक के मुनाफे पर भी टैक्स
बजट के एक अन्य प्रावधान ने भी बाजार का चैन छीन लिया है। नए प्रस्ताव के अनुसार शेयर बायबैक करने पर कंपनी को बायबैक प्राइस और इश्यू प्राइस के बीच के अंतर यानी इस लाभ पर 20 फीसदी टैक्स देना होगा। दरअसल सरकार ने डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) से बचने का रास्ता बंद करने के लिए यह कदम उठाया है। इस कदम से अधिकांश कंपनियां बायबैक प्लान लाने का विचार त्याग सकती हैं।
सुपर रिच पर अतिरिक्त सरचार्ज से एफपीआइ भी फंसे
बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सुपर रिच करदाताओं पर सरचार्ज बढ़ाने की भी घोषणा की है। दो करोड़ रुपये से ज्यादा आय होने पर 25 फीसदी और पांच करोड़ से ज्यादा आय पर 37 फीदी सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव है। इस प्रस्ताव के संबंध में बाजार का मूड उस नियम से बिगड़ा है जिसमें एसोसिएशन ऑफ परसंस और ट्रस्ट पर भी बढ़ा सरचार्ज लागू होगा। करीब 40 फीसदी फॉरेन पोर्टफोलिया इन्वेस्टर (एफपीआइ) ट्रस्ट बनाकर ही भारत में निवेश करते हैं। नए नियम से इन सभी को ज्यादा टैक्स देना होगा। इस वजह से बजट के बाज एफपीआइ की ओर से भारी बिकवाली दिखाई दे रही है।
एनबीएफसी का संकट दूर नहीं
इसके अलावा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) सेक्टर का संकट दूर करने के लिए कदम उठाए जाने की उम्मीद थी लेकिनबजट में सिर्फ मजबूत एनबीएफसी को ही कर्ज दिलाने का वायदा किया गया है। इससे संकटग्रस्त एनबीएफसी के दिवालिया होने का खतरा कम नहीं होगा।
इन प्रस्तावों से मिलेगा फायदा
भले ही सरकार के इन प्रस्तावों से बाजार में उत्साह गायब हो गया हो लेकिन कुछ प्रस्तावों से बाजार और अर्थव्यवस्था को फायदा भी मिल सकता है। सरकार ने बजट में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की शर्तें और उदार की हैं। इसके लिए अप्रवासी भारतीयों (एनआरआइ) के लिए निवेश की शर्तें आसान की हैं। सरकारी बैंकों के पुनर्पूंजीकरण क लिए 70,000 करोड़ रुपये देने से भी अर्थव्यवस्था को फायदा मिलेगा। लेकिन इन प्रावधानों का फायदा मिलने में अभी कुछ समय लग सकता है। शेयर बाजार और उसके सूचकांक सिर्फ तात्कालिक हालातों पर गौर करते हैं। इसी वजह से बाजार में स्थिरता का माहौल नहीं बन पाया है।
फिलहाल मंदी जारी रहेगीः विश्लेषक
बाजार के विश्लेषकों का कहना है कि सूचकांकों मे सुधार फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा है। इस सप्ताह निफ्टी 11,100 से 11,500 के बीच रह सकता है। एफपीआइ की बिकवाली से बाजारों पर दबाव बना हुआ है। निफ्टी के 50 शेयरों में से 90 फीसदी नुकसान में चल रहे हैं। करीब 30 फीसदी कंपनियों में 5 से 15 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है। बजट की बात छोड़ दें तो कंपनियों के वित्तीय नतीजे, ऑटो सेक्टर की समस्या और अमेरिका-चीन का कारोबारी तनाव बाजार को चिंता में डाले हुए है। एक विश्लेषक का कहना है कि बजट के बाद बाजार पूरी तरह निराशा के दौर से गुजर रहा है। यह निराशा शेयर मूल्य में गिरावट के रूप में देखी जा सकती है। अभी गिरावट के रुख जारी रह सकता है।