भले ही स्टॉक मार्केट में पिछले पांच दिनों के दौरान जोरदार तेजी का दौर रहा था लेकिन आज बाजारों में मजबूत शुरुआत के बाद गिरावट आ गई। दरअसल, भारतीय शेयर बाजार अब करीब-करीब उस रेंज में आ चुके हैं, जिस रेंज में मार्च के दौरान लॉकडाउन लागू होने से पहले था। बाजार के जानकारों का कहना है कि पिछले दिनों की तेजी के बाद बाजार में मुनाफावसूली आ चुकी है। अब आगे बाजार में तेजी के लिए अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बेहतरी के संकेतों की दरकार है।
अब गिरावट आने लगी
आज बाजार सुबह तेजी के साथ खुले लेकिन मुनाफावसूली आने के कारण पांच दिनों के बाद गिरावट आ गई। बीएसई सेंसेक्स 181 अंकों की गिरावट के साथ 33,928 पर कारोबार कर रहा है जबकि निफ्टी 46 अंक गिरकर 10,015 पर दर्ज किया गया है।
पांच सत्रों में आठ फीसदी की तेजी
सेंसेक्स में पिछले पांच दिनों में 2650 अंकों से ज्यादा की तेजी दर्ज की गई। सेसेक्स 28 मई को 31,822 पर कारोबार कर रहा था। जबकि तीन जून को इसने 34,488 का उच्च स्तर छू लिया। इसी तरह एनएसई निफ्टी 28 मई को 9352 के स्तर पर दर्ज किया गया था। इसमें 810 अंकों से ज्यादा की तेजी रही और उसने 10,162 का उच्च स्तर छू लिया। तीन जून यानी बुधवार को सेंसेक्स 284 अंकों की तेजी पाकर 34,109.54 पर बंद हुआ। इस तरह पीक स्तर छूने के बाद इसमें 475 अंकों की गिरावट रही। निफ्टी लॉकडाउन लागू होने के बाद पहली बार दस हजार का आंकड़ा पार करने में कामयाब हो गया। निफ्टी 10,162 का उच्च स्तर छूने के बाद 10,061 के स्तर पर बंद हुआ।
बाजार अब ओवरवैल्यूड
इस तेजी की वजह से बुधवार को 39 कंपनियों के शेयर 52 सप्ताह का उच्चतम स्तर छूने में सफल रहे और 296 कंपनियों के शेयरों ने अपर सर्किट छू लिया। बीएसई की लिस्टेड कंपनियों की कुल वैल्यू यानी मार्केट कैपिटलाइजेशन 132.80 लाख करोड़ रुपये हो गई। विश्लेषकों का कहना है कि मौजूदा हालात में पिछले पांच दिनों की तेजी के बाद बाजार ओवरवैल्यूड हो चुका है। ऐसे में उच्च मूल्य स्तर पर गिरावट आना लाजिमी है।
अब आगे क्या होगा
भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ रहा है और इसके कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं, इसके बावजूद बाजारों में तेजी पर विश्लेषकों का कहना है कि लॉकइन-1 के साथ ही आर्थिक गतिविधियां शुरू होने से उम्मीद बनी है। इसी वजह से बाजार में तेजी आ रही है। सरकार ने कई नीतिगत उपाय करने के अलावा एमएसएमई और आम लोगों को आर्थिक मदद देने की घोषणाएं की हैं। इसके बावजूद अब बाजार ऐसे बिंदु पर दिखाई दे रहा हैं, जहां आर्थिक स्तर पर बेहतरी के संकेत मिलने पर ही निवेशकों को खरीद के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
वित्तीय नतीजों से दिशा मिलेगी
कंपनियों के वित्तीय नतीजे भी बाजार को दिशा देने का काम करेंगे। बीते वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही के मार्च में कुछ दिन ही आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा था। ऐसे में कंपनियों के वित्तीय नतीजों से बाजार की दिशा तय हो सकती है। अभी तक जिन कंपनियों के नतीजे आए हैं, उनसे मिलेजुले संकेत मिले हैं। बड़ी कंपनियों के नतीजे आने पर बाजार का माहौल तय होगा।