ऋतिक रोशन, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी और मनोज वाजपेयी से लेकर विद्या बालन, सोनू सूद और जैकी श्रॉफ जैसी बॉलीवुड की मशहूर हस्तियां एक मैथिली फिल्म के प्रचार करने के लिए आगे आई हैं। इस फिल्म ने चार साल पहले राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था, लेकिन उसके बाद यह न तो किसी थिएटर में और न ही किसी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रदर्शित हो सकी। लेकिन अब, मिथिला मखान को इसके निर्माता-निर्देशक, भाई-बहन की जोड़ी नीतू चंद्रा और नितिन चंद्रा -- www.bejod.in नामक अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर दर्शकों के लिए उपलब्ध करा दिया है। गांधी जयंती के अवसर पर रिलीज होने के बाद से फिल्म को देश और विदेश से दर्शकों की जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है।
मैथिली बिहार और बिहार से बाहर कम से कम साढ़े तीन करोड़ से ज़्यादा लोगों द्वारा बोलने वाली संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषा है। इसे नेपाल में दूसरी आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है।
2016 में मैथिली भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त होने के बाद भी ने तो वितरकों ने और न ही किसी ओटीटी प्लेटफार्म ने मिथिला मखान के प्रदर्शन में दिलचस्पी दिखाई, इस के बावजूद कि फिल्म को राष्ट्रीय स्तर का सम्मान शोले (1975) के लिए प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक रमेश सिप्पी की अध्यक्षता में बने निर्णायक मंडल द्वारा मैथिली की सर्वश्रेष्ठ फिल्म के रूप में पुरस्कार मिला था।
फिल्म के रिलीज हेतु महीनों तक वितरकों और प्रदर्शकों के साथ बातचीत निरर्थक होने के बाद मिथिला मखान डिब्बे में बंद रही। ओटीटी प्लेटफार्म के आगमन भी इसकी किस्मत नहीं बदल सकी, क्योंकि इस भाषा में बनी फिल्म से भारतीय सिनेमा उद्योग वर्षों से अनजान रहा था।
भले ही पहली मैथिली फिल्म, ममता गाबय गीत 1960 के दशक की शुरुआत में बनाई गई थी और अपने समय के मशहूर निर्देशक, फणी मजुमदार ने 1965 में कन्यादान बनाया था, लेकिन बाद के दशकों में मैथिली सिनेमा समृद्ध न हो पाया। भोजपुरी सिनेमा के विपरीत, सिर्फ चुनिन्दा मैथिली फ़िल्में ही विगत में बन सकी, लेकिन सस्ता जिनगी महग सेनुर (1999) जैसी एकाध फिल्मों को छोड़ कोई भी बॉक्स ऑफिस पर नहीं चल सकी।
अतीत में मैथिली फिल्मों के फ्लॉप होने के बावजूद बॉलीवुड अभिनेत्री नीतू चंद्रा और उनके निर्देशक भाई नितिन चंद्रा ने मिथिला मखान के साथ मैथिली सिनेमा उद्योग को पुनर्जीवित करने बीड़ा उठाया। क्रान्ति प्रकाश झा, अनुरीता झा और पंकज झा द्वारा अभिनीत मिथिला मखान, बिहार में 2008 में आई विनाशकारी कोसी बाढ़ की पृष्ठभूमि में बनी, जिसे नेशनल अवार्ड के जूरी द्वारा भरपूर प्रशंसा मिली, लेकिन इसे व्यावसायिक स्तर पर रिलीज़ के लिए किसी कोने से समर्थन नहीं मिला।
अंत में, दोनों भाई-बहन ने इसे स्वयं अपने डिजिटल मंच के माध्यम से प्रदर्शित करने का निर्णय लिया। नीतू, जिन्होंने अक्षय कुमार और जॉन अब्राहम के साथ गरम मसाला (2005) और अभय देओल के साथ ओये लकी! लकी ओए! (2008) जैसी हिट फिल्मों में काम किया है, को इंडस्ट्री के कई सितारों का भरपूर समर्थन मिला, जिनमें न केवल बिहार में जन्मे शेखर सुमन, मनोज बाजपेयी और पंकज त्रिपाठी, बल्कि ऋतिक रोशन जैसे सुपरस्टार भी शामिल हैं। “बधाई देने के लिए एक पल नीतू और नितिन चंद्रा के लिए। भाई-बहन की इस जोड़ी ने एक ऐसी फिल्म बनाई है, जिस पर उन्हें विश्वास था। और उन्होंने इतिहास बनाया! यह राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली बिहार की पहली मैथिली फिल्म है। अच्छा काम करते रहें।"
जैकी श्रॉफ, विद्या बालन, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, सोनू सूद जैसे अन्य सितारों ने भी फिल्म देखने के लिए लोगों को अपने विडियो संदेश के माध्यम से अपील की।
नीतू और नितिन ने पहले एक चर्चित भोजपुरी फिल्म, देसवा (2011) बनाई थी, जिसे भी समुचित तरीके से थिएटर में रिलीज नहीं किया जा सका। लेकिन, इससे उन्होंने हौसला नहीं खोया। उनका कहना है कि वे बिहार की क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों में स्वच्छ और अर्थपूर्ण फिल्में बनाना जारी रखेंगे और अपने राज्य में बिहार फिल्म उद्योग की स्थापना के लिए संघर्ष करते रहेंगे। वे पिछले कई वर्षों से भोजपुरी उद्योग में अश्लील सिनेमा और संगीत के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि एक न एक दिन, वे एक सकारात्मक बदलाव लाने में सफल होंगे।