अखिलेश ने यहां फिल्म सिटी की स्थापना से संबंधित सहमति पत्र पर हस्ताक्षर के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में कहा, ’हालांकि लोग डराते आए हैं कि कहां जा रहे हो यूपी में लेकिन आज उन्हीं निर्माता और निर्देशकों के साथी कह रहे हैं कि खुद तो चले गए, अब हमें भी ले चलो।’
मुख्यमंत्री का इशारा उन निर्माता निर्देशकों की ओर था, जिन्होंने उत्तर प्रदेश में आकर अपनी फिल्मों की शूटिंग की और ऐसे निर्माता निर्देशकों से फिल्म जगत के उनके साथी भी प्रदेश में फिल्म निर्माण के लिए साथ ले चलने को कह रहे हैं।
अखिलेश यादव ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश की फिल्म नीति की वजह से यहां लोग फिल्में बनाने आ रहे हैं। तीस फिल्में बन रही हैं। उम्मीद है कि आने वाले समय में और फिल्में बनेंगी। कहीं न कहीं शुरूआत हुई है और लोग यहां आकर फिल्में बना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जो संस्कृति और विरासत उत्तर प्रदेश की है, देश के किसी अन्य प्रदेश की नहीं है और भारत बिना उत्तर प्रदेश के आगे नहीं बढ़ सकता। फिल्म हिट वही होगी जो यूपी में चलेगी। हालांकि बहुत से लोगों को अभी हम फिल्म ही नहीं दिखा पा रहे हैं। यूपी में कोशिश होगी कि अगर फिल्म सिटी बन रही है तो अधिक से अधिक लोग यहां आकर फिल्मों की शूटिंग करें।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में आकर फिल्में बनाने वालों को मुंबई के मेहमान की बजाय मुंबई के दोस्त कहकर संबोधित किया। इस मौके पर देश विदेश की तमाम फिल्मी हस्तियां मौजूद थीं। मुख्यमंत्री ने फिल्म नीति के तहत फिल्म अनुदान का वितरण किया। उन्होंने फिल्म बंधु वेबसाइट का उद्घाटन किया और फिल्म नीति पुस्तिका का विमोचन किया।
अखिलेश ने कहा कि खासकर लखनऊ और उसके आसपास के क्षेत्रों में फिल्मों की शूटिंग हो सकती है और इसी प्रदेश में विश्व प्रसिद्ध ताजमहल के अलावा वाराणसी और मथुरा जैसे शहर भी हैं। ताजमहल भी इसी प्रदेश में है। भगवान भी इसी प्रदेश में हैं।
कार्यक्रम में मौजूद फिल्मकार मुजफ्फर अली के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा, मुजफ्फर अली साहब तो लखनऊ के हैं। यहां के संगीत और संस्कृति को इनसे बेहतर कौन जानता है। उन्होंने अतुलनीय फिल्में बनाईं, उस तरह की फिल्म कोई नहीं बना पाया। लखनऊ की पहचान लोगों के बीच कैसे लौटे, फिल्मों के जरिये लोगों में मोहब्बत बढ़े, लगाव बढ़े यह देखना होगा।