एक अच्छा निर्देशक वही है जो कलाकारों से मनमाफिक काम करा ले। एक अच्छा कलाकार वही है जो अपने निर्देशक के विचारों में ढल जाए। अनारकली ऑफ आरा में यही लयबद्धता दिखाई पड़ती है। इस फिल्म को देखते हुए एक बार भी नहीं लगता कि अविनाश दास ने इस फिल्म से निर्देशकीय पारी शुरू की है। कहानी, किरदार, कथ्य में अनारकली एक मजबूत और शानदार फिल्म है। स्वरा निल बटे सन्नाटा के बाद फिर से साबित किया है कि वह अकेले दम पर दर्शकों को बांधे रह सकती हैं। अभिनेत्री के तौर पर उनके किरदार पर हर हदा पर दर्शक फिदा रहे हैं। फिल्म की पृष्ठभूमि चूंकि बिहार है इसलिए जरूरी था कि किरदार के उच्चारण में वह स्वस्फूर्त टोन आए। स्वरा ने अपने उच्चारण पर कितनी मेहनत की है यह उनके उच्चारण को सुन कर ही पता चल जाता है। अविनाश ने संजय मिश्रा को खलनायक का किरदार देकर भी चौंकाया है। एक निर्देशक के तौर पर उन्होंने यह खतरा उठाया इसके लिए उनकी तारीफ की जानी चाहिए। फिल्म उद्योग में कलाकारों से आगे उनकी छवि चलती है। संजय कॉमेडी जॉनर के कलाकार हैं यह सभी जानते हैं, लेकिन वह खलनायकी भी ऐसे कर जाएंगे यह तो बस अनारकली ही जानती थी!
मजबूत अनारकली
फैजाबाद की गायिका और नर्तकी ताराबानो फैजाबादी की कहानी से प्रेरित अनारकली ऑफ आरा ने एक बार फिर साबित किया है कि महिला यदि मन से मजबूत हो तो उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। स्वरा भास्कर ने इस फिल्म से अपने अभिनय के झंडे बुलंद किए हैं।
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