‘बाबूमोशाय’ वो भी ‘बंदूकबाज?’
हां यह बाबूमोशायल थोड़े अलग टाइप के हैं। यह फिल्म ड्रामेटिक एक्शन थ्रिलर है। नवाजुद्दीन इसमें बाबू बने हैं जो एक शार्प शूटर, कांट्रेंक्ट-किलर है। उसकी जिंदगी में कुछ लोग आते हैं और बहुत सारे उतार-चढ़ाव भी। उन्हीं सब को दिखाती हुई है यह फिल्म।
नए डायरेक्टर से नए ट्रीटमेंट की उम्मीद रखे?
बिलकुल। बहुत कुछ नया है इस फिल्म में। प्रीतीश नंदी के बेटे कुषाण नंदी इसे डायरेक्ट कर रहे हैं।
आपका फिल्म में क्या कर रही हैं?
फुलवा नाम की लड़की का रोल कर रही हूं जो एक दुकान चलाती है। बाबू को यह लड़की पसंद आ जाती है और वह उससे शादी करना चाहता है। लेकिन सब कुछ इतना आसान नहीं है। बीच में बहुत सारा सस्पेंस है।
चित्रांगदा सिंह ने यह भूमिका यह कह कर छोड़ दी थी कि बहुत बोल्ड किरदार है। तो क्या बिदिता बोल्ड है?
चित्रांगदा को धन्यवाद के अलावा क्या कहूं। उन्होंने भूमिका नहीं छोड़ी होती तो मुझे इतनी बढ़िया फिल्म करने को नहीं मिलती। मेरे लिए इस फिल्म को करने का सबसे बड़ा कारण नवाजुद्दीन ही थे। रही बोल्ड सीन की बात, तो मुझे हिचक इसलिए नहीं हुई क्योंकि मुझे भरोसा था कि जो भी होगा, वह इसमें जबर्दस्ती ठूंसा हुआ नहीं लगेगा।
हिन्दी सिनेमा में चार-पांच साल बिताने के बाद आपको लगता है बाबूमोशाय आपको पहचान दिलाएंगे?
हर चीज का वक्त होता है। वक्त आएगा तो पहचान भी आएगी। हालांकि इस बीच मैं लगातार बांग्ला फिल्मों में काम करती रही हूं। विज्ञापन भी करती रही हूं। मैंने खुद को अभिनेत्री के तौर पर काफी सुधारा है जो मेरे लिए अच्छा होगा।
हिन्दी फिल्मों को लेकर आपने अलग तरह का उत्साह है। जबकि कई बांग्ला अभिनेत्रियां बांग्ला सिनेमा में ही शोहरत कमा रही हैं?
मैं हिन्दी फिल्मों को लेकर लालची नहीं हूं बल्कि मुझे तो किसी भी भाषा की अच्छी फिल्म मिले तो मैं काम कर लूंगी। लेकिन हिन्दी सिनेमा का आसमान बड़ा है। यहां आप ज्यादा ऊंचा उड़ सकते हैं। हिन्दी फिल्मों की पहुंच, पहचान के मुकाबले बांग्ला सिनेमा सीमित है।
तो इसका मतलब ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ आपके लिए पहचान वाला आसमान सिद्ध होगी?
हां, मुझे पूरी उम्मीद है। जब यह फिल्म लोगों को पसंद आएगी तो इसकी चर्चा के साथ मेरी चर्चा भी जरूर होगी। इसीलिए मुझे फिल्म का बेसब्री से इंतजार है।
कोई और हिन्दी फिल्म भी कर रही हैं?
‘टी फॉर ताजमहल’ और ‘दया बाई’ पर काम चल रहा है।