हिन्दी सिनेमा के सफल गीतकार और निर्देशक गुलजार अपनी फिल्म माचिस बना रहे थे। फ़िल्म माचिस, संगीतकार के तौर पर विशाल भारद्वाज की गुलज़ार के साथ पहली फिल्म थी। विशाल भारद्वाज फ़िल्म इंडस्ट्री में बिलकुल नए थे।ऐसे में लता मंगेशकर जैसी महान कलाकार को अपने निर्देशन में गवाना एक बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य था।
एक रोज़ म्यूज़िक रूम में एक गाने की रिकॉर्डिंग चल रही थी।गाने के बोल थे "पानी पानी रे,खारे पानी रे "।जब गाने की रिकॉर्डिंग शुरू हुई और लता जी माइक पर आईं,उस वक़्त विशाल भारद्वाज रिकॉर्ड रूम के बाहर खड़े होकर रिकॉर्डिंग का जायज़ा ले रहे थे। लता मंगेशकर ने गाना शुरू किया।इसी सिलसिले में जब लता मंगेशकर जी की नज़र विशाल भारद्वाज की तरफ़ गई,तो उन्हें महसूस हुआ कि विशाल भारद्वाज नर्वस हैं।लता मंगेशकर ने माइक्रोफोन बंद किया और विशाल भारद्वाज को रिकॉर्डिंग रूम में बुलाया।
जब विशाल भारद्वाज रिकॉर्डिंग रूम में पहुंचे तो लता मंगेशकर ने विशाल से कहा "विशाल जी,अगर मैं गाने में किसी प्रकार की ग़लती करूँ,तो आप मुझे बताइए और उसमें सुधार कीजिए।आप मुझे सिर्फ और सिर्फ एक आम गायिका की तरह देखिए न कि इस तरह जैसे मैं कोई बड़ी गायिका लता मंगेशकर हूँ।इस तरह अगर आप नर्वस हो जाएँगे, तो आपका और मेरा सर्वश्रेष्ठ कर्म सामने नहीं आ सकेगा।
जिस सादगी से लता जी ने यह बातें विशाल भारद्वाज से कहीं,यही बात लता मंगेशकर जी को स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर बनाती है। इसके बाद सारे गीत बहुत सहजता से रिकॉर्ड हुए और हर गीत ने एक अलग आयाम और इतिहास स्थपित किया।