हिन्दी फिल्म जगत में कंगना ने करण जौहर के मशहूर चैट शो में उन्हें भाई-भतीजावाद का ध्वजवाहक करार दिया था जिसके बाद उन दोनों के बीच वाक्युद्ध शुरू हो गया था।
अनुपम खेर का मानना है कि इस बहस के शुरू होने से पहले अगर कोई उनसे भाई-भतीजावाद पर कुछ पूछता तो उनका जवाब बिल्कुल अलग होता।
खेर ने पीटीआई भाषा को बताया, यह एक बहुत ही आम बयान है। अब भाई-भतीजावाद से नाम जुड़ गए हैं। अगर कोई मुझसे 20 दिन पहले यह सवाल पूछता तो मैं उन्हें इस बारे में बिल्कुल अलग बात कह पाता।
उन्होंने कहा, अब भाई-भतीजावाद वही है जो कंगना ने कहा है या जो करण कह रहे हैं। ऐसे में अगर मैं कुछ भी कहता हूं तो वह या तो कंगना के पक्ष में होगा या करण के। लेकिन मेरा मानना है कि यहां पर बहुत से लोग हैं, जिन्होंने अपना मुकाम खुद बनाया है।
खेर ने हिन्दी फिल्म जगत में किसी भी गॉड फादर या पारिवारिक पृष्ठभूमि के बिना कदम रखा था। उनकी पहली फिल्म वर्ष 1984 में आयी थी और उसका नाम था- सारांश। उन्होंने बताया कि वह आज जहां हैं, वहां तक पहुंचने के लिए उन्हें जीवन में कई उतार-चढ़ाव से होकर गुजरना पड़ा।
भाषा