10वें अयोध्या फिल्म महोत्सव के संयोजक व सूत्रधार शाह आलम ने बताया कि गुप्त क्रांतिकारियों की प्रमुख संस्था मातृवेदी को शताब्दी वर्ष चल रहा है। इस संस्था में कई ऐसे नायक थे जिनकी कहानियां नई पीढ़ी के लिए न सिर्फ विरासत हैं बल्कि उन्हें नई रोशनी से भर देंगी। अवाम का सिनेमा इस संस्था के नायकों के परिजनों को, जिन्होंने उनके ऐतिहासिक दस्तावेजों को आज भी संजो रखा है, इस महोत्सव में सम्मानित करेगा। आलम कहते हैं कि यह सब क्रांतिवीरों के लिए बहुत ही कम है। लेकिन हम युवाओं का दायित्व है कि हम उनके विचारों और बलिदान को व्यर्थ न जाने दें।
कार्यक्रम की रूपरेखा के मुताबिक 16 दिसंबर को गोंडा जेल से शहीद राजेंद्र लाहिड़ी की याद में एक क्रांति मार्च किया जाएगा। 17 दिसंबर को अयोध्या में विधिवत उद्घाटन के साथ व्याख्यान सत्र, कार्टून व फिल्म प्रदर्शन आदि कार्यक्रम होंगे, जिसमें देशभर से कई ख्यात इतिहासकार, बुद्धिजीवी, फिल्म निर्माता, कवि और मीडिया दिग्गज शिरकत करने आ रहे हैं। 18 को दस्तावेजी सिनेमा, फिल्म, समाज और क्रांति पुराधाओं पर चर्चा-परिचर्चा के बीच ही कबीर पर केंद्रित लोक गायन होगा। समापन फैजाबाद जेल में शहीद अशफाक उल्लाह की याद में उन पर चलाए गए मुकदमे और उनकी जेल डायरी जैसे कई ऐतिहासिक दस्तावेजों का अवाम के लिए प्रदर्शन व चर्चा के साथ 19 को होगा।
बिना किसी सरकारी सहायता और बड़ी मदद के अपनी सक्रियता और मुहिम का दशक पूरा करने वाले अवाम का सिनेमा के इस महोत्सव में अंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली से प्रोफेसर सलिल मिश्र, मुंबई से फिल्म निर्माता जैगम इमाम, फिल्म समीक्षक रवि बुले, जगजीवन राम संसदीय शोध संस्थान, पटना के निदेशक श्रीकांत, सीएसआईआर, रुड़की के उपनिदेशक यादवेंद्र पांडेय, कवि आलोकधन्वा, कई मीडिया दिग्गज शिरकत कर रहे हैं। वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए भी कई विचार आएंगे।