कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना (उबाठा) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेताओं ने यहां बैठक के बाद इस बारे में जानकारी दी।

लोकसभा में कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, शिवसेना (उबाठा), राजद, नेशनल कांफ्रेंस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी(आरएसपी), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), भाकपा (माले) लिबरेशन, केरल कांग्रेस, वीसीके और एमडीएमके के सदन के नेताओं ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।

इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रमुख हैं।

बैठक के बाद कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इंडिया गठबंधन के 16 राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है कि संसद का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए। पहलगाम आतंकवादी हमले तथा भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के दौरान, सभी विपक्षी दल हमारे सशस्त्र बलों और भारत सरकार के समर्थन में खड़े थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब अमेरिका ने संघर्षविराम की घोषणा की, तो हमने मांग की कि संसद का एक विशेष सत्र बुलाया जाए ताकि सभी दल हमारे सशस्त्र बलों को धन्यवाद दे सकें तथा सरकार बिंदुवार अपनी बात रखे।’’

हुड्डा ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले से लेकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और अमेरिका द्वारा संघर्ष विराम का ऐलान किये जाने तक पर विभिन्न विषयों पर संसद में चर्चा होनी चाहिए।

उनका कहना था, ‘‘ आतंकवाद को कैसे खत्म किया जाए--इसपर और अपनी आगे की रणनीति पर भी संसद में हमें चर्चा करनी चाहिए। अब जब भारत सरकार दुनिया के सामने अपने विचार रख रही है तो मुझे लगता है कि सरकार को संसद में भी ऐसा ही करना चाहिए।’’

तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने कहा, ‘‘ सरकार संसद के प्रति उत्तरदायी है, संसद जनता के प्रति उत्तरदायी है। इसलिए हम संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं।’’

सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने कहा, ‘‘हम सरकार से जानना चाहते हैं कि किन देशों ने हमारा समर्थन किया। भारत के समर्थन में एक भी देश भी खुलकर सामने नहीं आया। यह चिंताजनक है। कूटनीतिक मोर्चे पर हम असफल रहे। हमारी सेना बधाई की पात्र है।’’

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के तथाकथित मित्र अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघर्षविराम की घोषणा की...जनता को लगता है कि हमें युद्धविराम के लिए मजबूर किया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ऐलान के बाद दुनिया भर में देश का सम्मान गिरा है।’’

शिवसेना (उबाठा) के नेता संजय राउत ने कहा, ‘‘यह कोई सामान्य पत्र नहीं है। विपक्ष जनता की असली आवाज है। हम चाहते हैं कि देश में अब तक जो कुछ भी हुआ है उस पर चर्चा के लिए एक विशेष सत्र बुलाया जाए।’’

उनका कहना था कि अगर राष्ट्रपति ट्रंप के सुझाव पर संघर्ष विराम किया जा सकता है तो विपक्ष के बार-बार अनुरोध के बाद भी एक विशेष सत्र क्यों नहीं बुलाया जा सकता?

राउत ने तंज कसते हुए सवाल किया, ‘‘क्या हमें विशेष सत्र के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के पास जाना पड़ेगा?’’

आम आदमी पार्टी (आप) विपक्ष की बैठक में शामिल नहीं हुई, हालांकि विशेष सत्र की मांग को लेकर प्रधानमंत्री को अलग से पत्र लिखेगी।

आप के संदर्भ में पूछे जाने पर ओब्रायन ने कहा, ‘‘हमारी समझ यह है कि बुधवार शाम छह बजे तक आम आदमी पार्टी समान मुद्दे, समान भावना और समान विषय-वस्तु को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर विशेष सत्र बुलाने की मांग करेगी।’’

‘इंडिया’ गठबंधन की एक और प्रमुख घटक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) ने पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं। संजय राउत ने कहा कि लोकसभा में इस पार्टी की नेता सुप्रिया सुले विदेश गये प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होने के कारण देश में नहीं हैं।

राउत ने कहा, ‘‘शरद पवार साहब भी हमारे साथ ही हैं। इस पत्र पर पार्टियों के सदन के नेताओं के हस्ताक्षर हैं। सुप्रिया सुले अभी विदेश गये प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं। जब मैं मुंबई जाऊंगा तो शरद पवार से बात करूंगा।’’

पहलगाम आतंकी हमले के बाद से कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं।

कांग्रेस ने हाल के दिनों में कहा है कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए और संसद का विशेष सत्र बुलाए जाए ताकि सेना के शौर्य को सलाम करने और 1994 के संसद के प्रस्ताव को दोहराने के साथ ही सरकार से कुछ बिंदुओं पर सवाल किये जा सकें।

तृणमूल कांग्रेस ने सुझाव दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को बताने के लिए विभिन्न देशों की यात्रा करने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों के देश में लौटने के बाद जून में सत्र आयोजित किया जाना चाहिए।

बीते 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे।

भारतीय सशस्त्र बलों ने छह की देर रात को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के कई आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया था।

इसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष हुआ और 10 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ‘संघर्षविराम’ की घोषणा की। हालांकि भारत ने स्पष्ट किया कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं थी और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) द्वारा अनुरोध किये जाने के बाद सैन्य कार्रवाई रोकी गई है।