नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पौत्र प्रोफेसर सुगत बोस ने मणिपुर में स्थिति को ‘‘दुखद’’ बताया है। उन्होंने तीनों समुदायों – मेइती, कुकी और नगा के बीच सहमति बनाने के लिए पूर्वोत्तर राज्य में ‘‘न्यायसंगत सत्ता बंटवारा व्यवस्था’’ पर काम करने का आह्वान किया। पूर्व लोकसभा सदस्य बोस ने पीटीआईके साथ एक साक्षात्कार में कहा कि तीनों समुदायों के सदस्य 1944 में नेताजी की ‘इंडियन नेशनल आर्मी’ में शामिल हुए थे और उन्होंने बिष्णुपुर और उखरुल जिलों में एकजुट होकर लड़ाई लड़ी थी।
उन्होंने कहा कि ‘‘मणिपुर में न्यायसंगत सत्ता बंटवारे की ऐसी व्यवस्था पर काम करने की जरूरत है जिसमें तीनों समुदायों की भागीदारी हो और उनकी शिकायतों का समाधान किया जाए।’’ बोस ने कहा, ‘‘हमें तीनों समुदायों को फिर से एकसाथ लाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ पिछले सशस्त्र संघर्ष की सर्वश्रेष्ठ विरासत का लाभ उठाने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर में हालात वास्तव में दुखद हैं…अल्पकालिक राजनीतिक लाभ के लिए एक समुदाय को दूसरे समुदाय के खिलाफ इस्तेमाल किया गया है। इस तरह का राजनीतिक खेल बंद होना चाहिए।’’ मणिपुर में पिछले पांच महीने से मेइती और कुकी समुदाय के बीच हिंसा में 175 से अधिक लोगों की मौत हो गयी है।
मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी आदिवासियों की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।
नेताजी के पौत्र सुगत बोस ने कहा, ‘‘केंद्र में निर्णय लेने में पूर्वोत्तर के बाकी राज्यों के साथ मणिपुर को भी जगह देनी चाहिए।’’ उन्होंने याद किया कि कुकी, मेइती और नगा समुदायों के मणिपुरी युवकों ने बड़ी संख्या में इंफाल की ओर मार्च में आईएनए में भाग लिया था। बोस ने कहा, ‘‘मणिपुर के इन स्वतंत्रता सेनानियों में एम कोइरेंग सिंह भी शामिल थे जो आजादी के बाद मणिपुर के पहले मुख्यमंत्री बने।