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चुनाव आयोग का जवाब, "पक्ष-विपक्ष नहीं, सभी दल हमारे लिए समकक्ष हैं"

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच चुनाव आयोग ने राज्य में चल रहे विशेष गहन संशोधन (SIR)...
चुनाव आयोग का जवाब,

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच चुनाव आयोग ने राज्य में चल रहे विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब दिया है।  मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने रविवार को स्पष्ट किया कि आगामी 15 दिनों में किसी भी राजनीतिक दल को मतदाता सूची में सुधार के लिए आयोग से संपर्क करने का पूरा अधिकार है।  उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग का दरवाजा सभी के लिए खुला है।"  

भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, "कानून के अनुसार, हर राजनीतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में पंजीकरण से होता है, तो चुनाव आयोग उन राजनीतिक दलों के बीच भेदभाव कैसे कर सकता है। चुनाव आयोग के लिए, कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है, सभी समकक्ष हैं... पिछले दो दशकों से, लगभग सभी राजनीतिक दल मतदाता सूची में त्रुटियों को सुधारने की मांग कर रहे हैं, इसके लिए चुनाव आयोग ने बिहार से एक विशेष गहन पुनरीक्षण की शुरुआत की है। SIR की प्रक्रिया में, सभी मतदाताओं, बूथ स्तर के अधिकारियों और सभी राजनीतिक दलों द्वारा नामित 1.6 लाख BLA ने मिलकर एक मसौदा सूची तैयार की है..."

ज्ञानेश कुमार ने कहा, "हमने कुछ दिन पहले देखा कि कई मतदाताओं की तस्वीरें बिना उनकी अनुमति के मीडिया के सामने पेश की गईं। उन पर आरोप लगाए गए, उनका इस्तेमाल किया गया। क्या चुनाव आयोग को किसी भी मतदाता, चाहे वह उनकी मां हो, बहू हो, बेटी हो, उनके CCTV वीडियो साझा करने चाहिए? जिनके नाम मतदाता सूची में हैं, वे ही अपने उम्मीदवार को चुनने के लिए वोट डालते हैं..."

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, "... एक बार जब SDM द्वारा अंतिम सूची प्रकाशित हो जाती है, तो मसौदा सूची राजनीतिक दलों के साथ भी साझा की जाती है और अंतिम सूची भी राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती है, यह चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होती है... मतदान केंद्रवार सूची दी जाती है। प्रत्येक उम्मीदवार को एक पोलिंग एजेंट नामित करने का अधिकार है और यही सूची पोलिंग एजेंट के पास भी होती है... रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा परिणाम घोषित करने के बाद भी, एक प्रावधान है कि आप 45 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं और चुनाव को चुनौती दे सकते हैं। जब 45 दिन पूरे हो जाते हैं चाहे वह केरल हो, कर्नाटक हो, बिहार हो, और जब किसी भी पार्टी को 45 दिनों में कोई गलती नहीं मिली, तो आज इतने दिनों के बाद, इस तरह के निराधार आरोप लगाने के पीछे उनका मकसद क्या है, यह पूरे देश के लोग समझते हैं।"

भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, "जहां तक पश्चिम बंगाल के SIR की तारीख का सवाल है तो हम तीनों कमिश्नर उचित समय देखकर निर्णय लेंगे, चाहे वह पश्चिम बंगाल में हो या देश के अन्य राज्यों में, आने वाले समय में इसकी तारीखों की घोषणा की जाएगी।"

यह बयान ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने SIR प्रक्रिया को "मतदान चोरी की साजिश" करार दिया है।  उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया के तहत दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और गरीब वर्ग के मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं।  इसके विरोध में राहुल गांधी ने रविवार को बिहार के रोहतास जिले के सासाराम से 'मतदाता अधिकार यात्रा' की शुरुआत की, जो 16 दिनों में 1,300 किलोमीटर की दूरी तय करेगी और पटना के गांधी मैदान में 1 सितंबर को एक विशाल रैली में समाप्त होगी।  

वहीं, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि SIR प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी योग्य मतदाता सूची से बाहर न रहे।  आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में किसी भी प्रकार की त्रुटि या आपत्ति उठाने का उचित समय 'दावे और आपत्तियां' अवधि है, जो अब भी जारी है।  इस दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को सूची की समीक्षा करने और त्रुटियों की रिपोर्ट करने का अवसर मिलता है।  

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर हस्तक्षेप किया है।  14 अगस्त को जारी अंतरिम आदेश में कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह 65 लाख मतदाताओं के नामों की सूची और उनके हटाने के कारणों को सार्वजनिक करे।  साथ ही, कोर्ट ने आधार और मतदाता पहचान पत्र को वैध पहचान पत्र के रूप में स्वीकार करने की बात भी कही है।  

इस पूरे घटनाक्रम ने बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक सरगर्मियों को और बढ़ा दिया है।  चुनाव आयोग की ओर से जारी की गई समय सीमा और सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है।  अब देखना यह होगा कि राजनीतिक दल और आयोग इस प्रक्रिया को पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ कैसे आगे बढ़ाते हैं। 

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