बिहार में इस बार विधानसभा के चुनाव में कई दिग्गज नेताओं के रिश्तेदार का सितारा चमक उठा जबकि ऐसे कई उम्मीदवारों के तारे गर्दिश में ही रह गए।
बिहार विधानसभा चुनाव में कई वरिष्ठ नेताओं ने अपनी विरासत उत्तराधिकारी को सौंपने के लिए दांव-पेच आजमाया है। परिवारवाद के कारण आलोचना झेल चुकी कांग्रेस के अलावा अन्य राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल भी इस रोग से बच नहीं पाए। इस बार ऐसे 65 से अधिक उम्मीदवार थे, जिनके पिता, माता या रिश्तेदार की बिहार की राजनीति में मजबूत दखल है। इनमें से 40 प्रत्याशी चुनाव जीत गए जबकि 25 को हार का मुंह देखना पड़ा। इस परिणाम ने एक बार फिर प्रमाणित किया कि दुनिया को पहली बार लोकतंत्र की परिकल्पना कर गणराज्य (लिच्छवी) की स्थापना करने वाले बिहार में जनतंत्र की जड़े मजबूत होने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा।
चारा घोटाला मामले में दोषी पाए जाने के कारण राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू खुद प्रसाद यादव खुद चुनाव नहीं लड़ सकते इसलिए उन्होंने अपने दोनों पुत्र तेज प्रताप यादव और तेजस्वी प्रसाद यादव को विरासत सौंप दी है। राजद अध्यक्ष से जब उनके पुत्रों के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था, “मेरा बेटा नेता नहीं बनेगा तो क्या भैंस चरायेगा।”
राघोपुर विधानसभा सीट से इस बार के चुनाव में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव छोटे पुत्र और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी सतीश कुमार यादव को लगातार दूसरी बार करारी शिकस्त दी। लालू-राबड़ी के गढ़ राघोपुर में कभी भाजपा का ‘कमल’ नहीं खिला है और इस बार भी राघोपुर का दुर्ग राजद की ‘लालटेन’ से जगमग हो गया। वहीं, समस्तीपुर के हसनपुर से लालू-राबड़ी के ज्येष्ठ पुत्र तेज प्रताप यादव ने चुनाव लड़कर अपने विजय रथ से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राजकुमार राय को हैट्रिक लगाने से रोक दिया।
इसी तरह रामगढ़ सीट से राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह ने भाजपा के अशोक कुमार सिंह को, जमुई से पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की पुत्री अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज एवं भाजपा उम्मीदवार श्रेयसी सिंह ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयप्रकाश यादव के भाई और राजद प्रत्याशी विजय प्रकाश को तथा शिवहर से जी. कृष्णैया हत्याकांड मामले में जेल में बंद पूर्व बाहुबली सासंद आनंद मोहन और पूर्व सांसद लवली आनंद के घर के चिराग राजद प्रत्याशी चेतन आनंद ने जदयू के शर्फुद्दीन को परास्त कर न सिर्फ राजनीति में शानदार पर्दापण किया बल्कि अपने परिवार की विरासत को भी सहेजने में सफल रहे हैं।
सिमरी बख्तियारपुर सीट पर सांसद महबूब अली कैसर के पुत्र और राजद प्रत्याशी युसूफ सलाहउद्दीन ने देवदास, बजरंगी भाईजान और कलंक जैसी हिंदी फिल्मों के सेट बना चुके विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के अध्यक्ष मुकेश सहनी के विधायक बनने के ख्वाब को चूर कर दिया। अमरपुर से जदयू ने पिछले चुनाव में जीते विधायक जर्नादन मांझी की जगह उनके पुत्र जयंत राज पर दाव खेला और उन्होंने कांग्रेस के जीतेन्द्र सिंह का खेल बिगाड़ कर बाजी अपने नाम कर ली।
बड़हरिया में विधान पार्षद टुन्ना जी पांडेय के भाई और राजद प्रत्याशी बच्चा पांडेय ने जदयू के श्याम बहादुर सिंह को, झंझारपुर में पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र भाजपा के नीतीश मिश्रा ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राम नारायण यादव को तथा दीघा विधानसभा सीट से सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद के पुत्र और भाजपा प्रत्याशी संजीव चौरसिया ने भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) की शशि यादव को पराजित कर पार्टी का परचम लहराया।