कांग्रेस ने झारखंड के दो दिग्गज कांग्रेसियों को बिहार के चुनाव मैदान में उतारा है। पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री सुबोध कांत सहाय और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार को। कांग्रेस बिहार में 70 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। ये दोनों दिग्गज चुनाव नहीं लड़ेंगे लड़ायेंगे। मगर कांग्रसियों को डर है कि पहले से धुर विरोधी कहीं आपस में ही न भिड़ जायें।
चार दिन पहले सुबोध कांत सहाय को बिहार चुनाव में इलेक्शन मैनेजेंट एंड को आर्डिनेशन कमेटी का सदस्य बनाया गया। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला इसके अध्यक्ष हैं। तारिक अनवर, मीरा कुमार, शत्रुघ्न सिन्हा संजय निरूपम, शकील अहमद, कीर्ति आजाद, कैप्टन अजय यादव सदस्य के रूप में शामिल हैं। देर रात मीडिया में खबर फैली कि सुबोध कांत को बिहार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। झारखंड से एकलौता कांग्रेसी को किसी रूप में जिम्मेदारी मिली है। रांची सीट से तीन बार सांसद रहे सुबोध कांत इसी सीट पर लगातार दो पराजय के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव के पश्चयत किनारे पड़ गये थे। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें तबज्जो नहीं दी। उसके बाद कटे कटे से रहे।
लोकसभा चुनाव में पार्टी की पराजय और भारी आलोचना के कारण कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार ने पिछले साल अगस्त महीने में इस्तीफा दे दिया था। सितंबर में आप में चले गये। उस समय सुबोध कांत के प्रदेश अध्यक्ष बनने की चर्चा तेज थी। दरअसल अजय कुमार और सुबोध कांत सहाय के बीच रिश्ते बहुत अधिक कटु हो गये थे। सुबोध कांत का खेमा ही अजय कुमार के खिलाफ ज्यादा आक्रामक था।
अभी पिछले माह 27 सितंबर को आइपीएस अधिकारी रहे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार की कांग्रेस में वापसी हुई। कुछ इस कदर कि प्रदेश नेतृत्व को आदेश आने के बाद इसकी जानकारी मिली। जानकार बताते हैं कि डॉ अजय कुमार की पुनर्वापसी का सुबोध कांत सहाय ने जमकर विरोध किया था मगर उनकी नहीं चली। ऐसे में माना जा रहा है कि सुबोध कांत को बिहार चुनाव में टास्क देकर उन्हें पुनर्जीवित या एडजस्ट किया गया। अपने टास्क को लेकर गुरूवार को सुबोध कांत पटना की धरती पर लैंड करते उसके पहले ही डॉ अजय कुमार को बिहार चुनाव में वार रूम का इंचार्ज बनाने का पार्टी का फरमान आ गया। सजारिता और नवीन शर्मा को वार रूम का को आर्डिनेटर बनाया गया। पार्टी के जानकार मानते हैं कि सुबोध कांत सहायक को मिली जिम्मेदारी की चर्चा शुरू होते कि झारखंड से एकमात्र..... अजय कुमार की लॉबी सक्रिय हो गई और वे वार रूम का इंजार्च बना दिये गये। देखना होगा कि छत्तीस के रिश्ते को लेकर चर्चित दोनों नेता आपस में कैसा तालमेल बैठा पाते हैं।
डॉ अजय कुमार ने आउटलुक से कहा कि पुनर्वापसी के बाद पार्टी ने उनपर इतना भरोसा किया उसके लिए शुक्रगुजार हूं, पार्टी का बड़प्पन है। ये भी जल्द ही पटना पहुंचेंगे। विश्लेषण, मीटिंग जैसी चुनावी जिम्मेदारी निभायेंगे। कहते हैं कि पटना या बिहार मेरे लिए नया नहीं है। दानापुर में एएसपी रहा तो पटना में पांच साल एसपी रहा। नक्सलियों का पीछा करते-करते दुल्हिन बाजार से जहानाबाद तक डेढ़ सौ किलोमीटर की पदयात्रा भी की है। वहीं सुबोध कांत लॉ सहित अध्ययन काल का लंबा समय पटना में गुजरा है।