शुक्रवार (6 जून) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीनगर और कटरा के बीच दो विशेष रूप से डिजाइन की गई वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाएंगे, जिससे कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से ट्रेनों के जरिए जोड़ने की 42 साल पुरानी परियोजना पूरी हो जाएगी।
यह ब्रिज जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में चिनाब नदी की गहरी खाई के ऊपर बादलों को चूमता एक इंजीनियरिंग चमत्कार जैसा है। 359 मीटर की ऊंचाई पर बना यह चिनाब रेलवे ब्रिज, जो पेरिस के एफिल टॉवर से भी 35 मीटर ऊंचा है, उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) परियोजना का गौरव है। 1.3 किलोमीटर लंबा यह ब्रिज 1315 मीटर की ऊंचाई पर चिनाब नदी को पार करता है, जो कटरा और रियासी को जोड़ता है।
2003 में शुरू हुई 272 किलोमीटर लंबी USBRL परियोजना का यह हिस्सा कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने का सपना पूरा करता है। 27,949 करोड़ रुपये की लागत से बने इस ब्रिज का निर्माण 2004 में शुरू हुआ और 2025 में पूरा हुआ, जिसमें 28,000 टन स्टील और 10,000 टन कंक्रीट का उपयोग हुआ।
इस ब्रिज का निर्माण आसान नहीं था। रियासी का कठिन भूभाग, भूकंपीय जोखिम, और आतंकवादी खतरों ने इंजीनियरों की राह में रोड़े बिछाए। फिर भी, यह ब्रिज रिक्टर स्केल पर 8+ तीव्रता के भूकंप और 260 किमी/घंटा की हवा को झेलने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके 17 स्पैन में 467 मीटर लंबा मुख्य आर्च इसे अनूठा बनाता है। हर रात, जब चिनाब नदी की लहरें चट्टानों से टकराती हैं, यह ब्रिज चुपचाप अपनी मजबूती का गवाह बनता है।
चिनाब ब्रिज रेल कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगा, पर्यटन को बढ़ावा देगा, और आर्थिक विकास को गति देगा। रेलवे ने सुरक्षा के लिए ड्रोन सर्वेक्षण, 24/7 निगरानी, और सेंसर-आधारित सिस्टम लगाए हैं। स्थानीय निवासी मोहम्मद राशिद कहते हैं, “यह ब्रिज हमारा गौरव है। अब श्रीनगर जाना आसान होगा, और हमारे उत्पाद देशभर में पहुंचेंगे।”
चिनाब रेलवे ब्रिज भारत की इंजीनियरिंग क्षमता का प्रतीक है। यह न केवल कश्मीर घाटी को देश से जोड़ता है, बल्कि असंभव को संभव करने की भारत की जिद को भी दर्शाता है। जैसे ही ट्रेनें इस ब्रिज से गुजरेंगी, वे सिर्फ यात्रियों को नहीं, बल्कि एक नए युग की शुरुआत को भी ले जाएंगी।