Advertisement

मुख्य न्यायाधीश को मिली ताकत! सुप्रीम कोर्ट ने यशवंत वर्मा मामले में दी ये मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को किसी भी...
मुख्य न्यायाधीश को मिली ताकत! सुप्रीम कोर्ट ने यशवंत वर्मा मामले में दी ये मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को किसी भी उच्च न्यायिक अधिकारी के खिलाफ कदाचार के मामलों में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को रिपोर्ट भेजने का अधिकार है। यह फैसला दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े एक मामले में आया है, जिसमें CJI की सिफारिश पर कार्रवाई की वैधता को चुनौती दी गई थी।

दरअसल, यह मामला तब उठा जब CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को एक गोपनीय रिपोर्ट भेजी थी, जिसमें जस्टिस वर्मा के कथित आचरण पर सवाल उठाए गए थे। रिपोर्ट में कुछ गंभीर आरोप थे, जो न्यायपालिका की गरिमा और निष्पक्षता से जुड़े हुए माने गए। इसके बाद सवाल खड़ा हुआ कि क्या मुख्य न्यायाधीश को यह अधिकार है कि वे इस तरह की जानकारी कार्यपालिका के प्रमुखों को सीधे भेज सकते हैं।

इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने साफ किया कि मुख्य न्यायाधीश देश की न्यायपालिका के प्रमुख हैं और यदि उन्हें लगता है कि कोई न्यायाधीश संस्था की साख को ठेस पहुँचा रहा है, तो उन्हें कार्यपालिका को सचेत करने का पूरा हक है। कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि उसमें जवाबदेही का अभाव हो।

फैसले में यह भी कहा गया कि अगर किसी न्यायिक अधिकारी के खिलाफ शिकायत गंभीर हो और उसका असर न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता पर पड़ सकता हो, तो ऐसे मामलों में मुख्य न्यायाधीश की भूमिका निर्णायक हो सकती है।

इस फैसले को न्यायिक पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। यह साफ संदेश देता है कि न्यायिक कुर्सी पर बैठे लोग भी किसी विशेषाधिकार से ऊपर नहीं हैं। साथ ही, यह तय करता है कि देश की शीर्ष अदालत केवल फैसले नहीं देती, बल्कि व्यवस्था को जवाबदेह और पारदर्शी बनाने में भी सक्रिय भूमिका निभाती है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad