तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी को लेकर बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि उनके पुनर्जनन (रेनकार्नेशन) को चुनने का अधिकार सिर्फ उनकी गदेन फोडरंग ट्रस्ट को है। यह बयान 2 जुलाई 2025 को धर्मशाला में 15वीं तिब्बती धार्मिक कॉन्फ्रेंस में आया। दलाई लामा 6 जुलाई को 90 साल के हो रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि उनकी मृत्यु के बाद 15वें दलाई लामा का चयन तिब्बती बौद्ध परंपराओं के अनुसार होगा।
चीन ने इस बयान पर तुरंत प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, “दलाई लामा और पंचेन लामा जैसे बौद्ध नेताओं का पुनर्जनन बीजिंग की मंजूरी के बिना नहीं हो सकता।” उन्होंने 18वीं सदी के किंग राजवंश के गोल्डन अर्न रिवाज का हवाला दिया। चीन का कहना है कि उत्तराधिकारी का चयन उसके क्षेत्र में होना चाहिए।
दलाई लामा 1959 में तिब्बत में चीनी सेना के दमन के बाद भारत भाग आए थे। तब से वे धर्मशाला में निर्वासित जीवन जी रहे हैं। चीन उन्हें अलगाववादी मानता है। दलाई लामा ने कहा कि उनका उत्तराधिकारी चीन के बाहर जन्म लेगा। उन्होंने अपने अनुयायियों से चीन द्वारा चुने गए किसी भी उत्तराधिकारी को खारिज करने को कहा।
इस बयान से भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ सकता है। गदेन फोडरंग ट्रस्ट भारत में है, जिसे भारत सरकार का समर्थन है। खुफिया सूत्रों का कहना है कि यह चीन की तिब्बत रणनीति के लिए झटका है।
1995 में दलाई लामा द्वारा चुने गए पंचेन लामा, गेदुन चोएकी न्यिमा, को चीन ने गायब कर दिया था। तब वह सिर्फ छह साल के थे। चीन ने अपने पंचेन लामा को नियुक्त किया।
दलाई लामा का यह बयान तिब्बती संस्कृति और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा का संदेश है। उन्होंने कहा, “600 साल पुरानी दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी।” यह बयान चीन के लिए चुनौती है और भारत के लिए कूटनीतिक जीत।