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राज्यसभा में गरमाया 'चीन-कांग्रेस' विवाद, जयशंकर के बयान से सियासी हलचल तेज

राज्यसभा में मंगलवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राहुल गांधी और जयराम रमेश पर निशाना साधते हुए...
राज्यसभा में गरमाया 'चीन-कांग्रेस' विवाद, जयशंकर के बयान से सियासी हलचल तेज

राज्यसभा में मंगलवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राहुल गांधी और जयराम रमेश पर निशाना साधते हुए उन्हें "चीन के गुरु" करार दिया। उन्होंने कांग्रेस नेताओं पर यह आरोप लगाया कि वे चीन से जुड़े मामलों में भारत की सरकार के खिलाफ बोलकर उसकी स्थिति को कमजोर करते हैं। जयशंकर ने कहा कि राहुल गांधी और जयराम रमेश जैसे नेता अक्सर ऐसे बयान देते हैं जो चीन के दृष्टिकोण को मजबूती देते हैं और इससे भारत के राष्ट्रीय हितों को नुकसान होता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि ये नेता विदेश नीति जैसे गंभीर मामलों पर गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियां करते हैं और सेना के बलिदान को भी नजरअंदाज करते हैं।

उन्होंने कहा, "आज लोग चीन पर बहुत ज्ञान दे रहे हैं। दरअसल, कुछ लोगों ने कहा है कि मैं चीन के बारे में ज़्यादा नहीं जानता।" उन्होंने आगे कहा, "मैंने विदेश सेवा में केवल 41 साल बिताए हैं और चीन में सबसे लंबे समय तक राजदूत रहने वाला मैं हूँ। लेकिन अब चीन के गुरु भी हैं। मेरे सामने बैठे एक माननीय सदस्य हैं, जिनका चीन के प्रति इतना गहरा लगाव है कि उन्होंने "चिंडिया" शब्द गढ़ दिया।"

जयशंकर की यह टिप्पणी कांग्रेस सांसद जयराम रमेश पर एक व्यंग्य थी, जिन्होंने 2000 के दशक की शुरुआत में भारत और चीन के साथ मिलकर काम करने के विचार को बढ़ावा देने के लिए "चिंडिया" शब्द गढ़ा था।

जयशंकर की टिप्पणी उस दौरान आई जब संसद में ऑपरेशन सिंदूर और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर बहस चल रही थी। उन्होंने विपक्ष को चेताया कि सेना और सरकार को कमजोर दिखाने वाले बयान भारत की स्थिति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर नुकसान पहुंचा सकते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के नेता गलवान संघर्ष जैसे मामलों में भी बार-बार सवाल खड़े करते हैं और यह चीन को ही लाभ पहुंचाने वाला रवैया है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि “ऐसे नेता चीन के प्रवक्ता बन चुके हैं और उनके बयान चीन के पक्ष में जाते हैं।”

जयशंकर की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब संसद में राष्ट्रीय सुरक्षा, सीमा विवाद और विदेशी नीति पर तीखी बहस चल रही है। विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर सवाल उठा रहा है, लेकिन सरकार अपने रुख पर कायम है।

पूरा मामला बताता है कि कैसे संसद अब सिर्फ नीतिगत चर्चाओं का मंच नहीं रह गया है, बल्कि तीखे राजनीतिक हमलों का अखाड़ा बन गया है। जयशंकर की यह टिप्पणी साफ तौर पर कांग्रेस के विरोध को देशविरोधी नैरेटिव से जोड़ने की एक कोशिश थी, जिसे लेकर आने वाले दिनों में और बहस हो सकती है।

 

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