उत्तरकाशी के धऱाली और आसपास के इलाकों में 5 अगस्त को आए अचानक क्लाउडबर्स्ट और फ्लैश फ्लड ने भारी तबाही मचाई है। इस आपदा में अब तक कम से कम पांच लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं। सबसे चिंताजनक खबर यह है कि हर्षिल के पास स्थित एक सेना कैंप से 9 जवान लापता हैं। फ्लैश फ्लड ने कई घर, दुकानें, होटल और वाहन बहा दिए, जिससे पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। सुखी टॉप और धऱाली गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जहां मलबे और पानी की तेज धार ने गांवों को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया।
बचाव कार्य में तेजी लाने के लिए सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आईटीबीपी की टीमें लगातार जुटी हुई हैं। चिनूक हेलीकॉप्टर, काडेवर डॉग्स और आधुनिक रडार सिस्टम की मदद से लापता लोगों की तलाश जारी है। सेना के चिनूक हेलीकॉप्टरों को सहस्त्रधारा एयरस्ट्रिप से तैनात किया गया है ताकि दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में फंसे लोगों को निकाला जा सके।
स्थानीय प्रशासन का कहना है कि खराब मौसम, टूटी सड़कें और बह चुके पुल बचाव कार्य में बड़ी बाधा बन रहे हैं। कई जगहों पर रास्ते पूरी तरह बंद हैं और ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने में भारी मुश्किलें आ रही हैं। अब तक करीब 190 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित इलाकों का दौरा कर हालात का जायजा लिया और राहत कार्यों की निगरानी की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार युद्ध स्तर पर काम कर रही है और हर पीड़ित को आवश्यक मदद दी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्थिति की जानकारी ली और प्रभावितों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
इस आपदा की प्रारंभिक वजह क्लाउडबर्स्ट बताई गई थी, लेकिन विशेषज्ञ अब ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) या ग्लेशियर टूटने की आशंका की भी जांच कर रहे हैं। पर्यावरण वैज्ञानिकों ने चेताया है कि जलवायु परिवर्तन और अवैज्ञानिक निर्माण कार्यों के चलते उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य आपदाओं के प्रति बेहद संवेदनशील होते जा रहे हैं। उत्तरकाशी की यह घटना न केवल मानवीय त्रासदी है, बल्कि एक बार फिर हिमालयी क्षेत्र की पर्यावरणीय नाजुकता और हमारी विकास नीतियों पर सवाल खड़ा करती है।