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कांग्रेस ने 'देपसांग में चीनी शेल्टर्स' को लेकर सरकार को घेरा, कहा- यथास्थिति कब होगी बहाल

कांग्रेस चीन को लेकर एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर हमलावर होती जा रही हैं। लद्दाख के...
कांग्रेस ने 'देपसांग में चीनी शेल्टर्स' को लेकर सरकार को घेरा, कहा- यथास्थिति कब होगी बहाल

कांग्रेस चीन को लेकर एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर हमलावर होती जा रही हैं। लद्दाख के देपसांग इलाके में चीन द्वारा शेल्टर्स बनाए जाने के खबरों के बीच सरकार की "चुप्पी" को लेकर कांग्रेस ने भाजपा पर हमला बोला हैं। कांग्रेस ने पूछा है कि अप्रैल 2020 से पहले की यथास्थिति बनाए रखने को लेकर सरकार ने अभी तक कौन से कदम उठाएं हैं।

बता दें कि जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति सी जिनपिंग हाथ मिलाते नजर आए थे। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इसको लेकर भी भाजपा पर हमला बोला है। हालांकि, कांग्रेस के आरोपों के बीच बीजेपी ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

पिछले कुछ समय से कांग्रेस भाजपा के ऊपर लद्दाख मामले को सही से न सुलझा पाने के लिए हमलावर है, लेकिन भारत सरकार का कहना है 2020 में हुए पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद केंद्र ने सीमा पर बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाने के लिए काफी कार्य किया है।

कांग्रेस मुख्यालय में हुए एक संवाददाता सम्मेलन में सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, "12 नवंबर को नरेंद्र मोदी चीनी राज्य प्रमुख शी जिनपिंग से मिले। मुझे आश्चर्य है कि इस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी देश के 20 जवानों की सर्वोच्च बलिदान के बारे में क्या बात किये होंगे।" मीडिया खबरों का हवाला देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे कहा कि चीन बॉर्डर पर तापमान नियंत्रित "शेल्टर" बना चुका है जिस वजह से वह किसी भी सैन्यकर्मी को बॉर्डर पर स्थायी रूप से तैनात रख सकता है।

श्रीनेत ने आरोप लगाया, ''चीन ने एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के 15-18 किलोमीटर अंदर हमारे क्षेत्र में ऐसे दो सौ शेल्टर बनाए हैं।'' श्रीनेत ने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा कि उनकी सरकार या विदेश मंत्रालय की ओर से एक भी बयान क्यों नहीं आया है।

बता दें कि पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध शुरू हो गया। दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों और भारी हथियारों को बढ़ाकर अपनी तैनाती बढ़ा दी। सैन्य और कूटनीतिक वार्ता की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप, दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण किनारे और गोगरा क्षेत्र में डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया पूरी की। पैंगोंग झील क्षेत्र से पीछे हटना पिछले साल फरवरी में हुआ था जबकि गोगरा में पेट्रोलिंग प्वाइंट 17 (ए) से सैनिकों और उपकरणों की वापसी पिछले साल अगस्त में हुई थी।  

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