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अदालत ने एमएटी आदेश को रद्द किया; मराठा उम्मीदवारों पर ईडब्ल्यूएस के तहत आवेदन पर थी रोक

बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (एमएटी) के उस आदेश को रद्द कर दिया...
अदालत ने एमएटी आदेश को रद्द किया; मराठा उम्मीदवारों पर ईडब्ल्यूएस के तहत आवेदन पर थी रोक

बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (एमएटी) के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें कहा गया था कि मराठा समुदाय के उम्मीदवार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी में सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर सकते।

न्यायमूर्ति नितिन एम. जामदार और न्यायमूर्ति मंजूषा ए. देशपांडे की खंडपीठ ने मराठा समुदाय के उम्मीदवारों को राहत देते हुए कहा कि न्यायाधिकरण स्थापित कानूनी सिद्धांतों से भटक गया जिसका ‘व्यापक प्रभाव’ पड़ा। अदालत 100 से अधिक उम्मीदवारों और राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें एमएटी द्वारा फरवरी 2023 में जारी आदेश को चुनौती दी गई थी।

एमएटी ने अपने आदेश में कहा था कि मराठा समुदाय के उम्मीदवार 2019 में विज्ञापित उप-निरीक्षक / कर सहायक और क्लर्क-टाइपिस्ट, वन विभाग और इंजीनियरिंग सेवाओं के पदों के लिए आवेदन करते समय ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ नहीं ले सकते हैं।

महाराष्ट्र सरकार ने 2018 में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए महाराष्ट्र राज्य आरक्षण अधिनियम लागू किया था जिसमें मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण देने का प्रावधान था। हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने इस कानून को असंवैधानिक करार दिया।

शीर्ष अदालत के फैसले के बाद सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी किया गया, जिसमें 2019 के विज्ञापित पदों के लिए एसईबीसी श्रेणी के तहत आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को ईडब्ल्यूएस के तहत आवेदन करने की अनुमति दी गई।

ईडब्ल्यूएस के तहत आवेदन करने वाले गैर मराठा उम्मीदवारों ने जीआर को एमएटी में चुनौती दी थी। एमएटी ने चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार किया और मूल रूप से एसईबीसी श्रेणी में आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को अयोग्य करार दे दिया।

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