केंद्र सरकार लॉकडाउन पर फैसला करने से पहले सभी पहलुओं पर गहराई से विचार कर रही है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी पार्टियों के संसदीय सदन के नेताओं से इस मसले पर परामर्श किया। सरकार आगामी शनिवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी चर्चा कर सकती है। 21 दिनों के लॉकडाउन की अवधि 14 अप्रैल को खत्म हो रही है। लेकिन सरकार कोरोना के गंभीर संकट को देखते हुए हर पहलू पर गहराई से विचार कर रही है। जिस तरह से कोरोना संक्रमित मरीजों और मृतकों की संख्या बढ़ रही है और राज्यों के साथ विशेषज्ञों की राय सामने आ रही है, उसके चलते केंद्र सरकार लॉकडाउन के बारे में कोई फैसला करने से पहले सतर्क हो गई है। देश में कोरोना मरीजों की संख्या 5,351 और मृतकों की संख्या 160 तक पहुंच गई है।
लॉकडाउन हटने पर स्थिति बेकाबू होने का अंदेशा
दुनिया में जिस तेजी से मरीजों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए भारत में भी स्थिति अनियंत्रित होने की आशंका बनी हुई है। देश में भी मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यही वजह है कि कई विशेषज्ञ और राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने लॉकडाउन को आगे बढ़ाने का सुझाव दिया है। हालांकि लॉकडाउन की अवधि एक सप्ताह में पूरी होने वाली है, फिर भी सरकार ने इसके बारे में कोई संकेत नहीं दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने गत दिवस कहा कि अभी इस मसले पर कोई फैसला नहीं हुआ है, इसलिए अभी अटकलें नहीं लगानी चाहिए।
केंद्र सरकार की सोच
मुख्यमंत्रियों और विशेषज्ञों की सलाह के बाद केंद्र सरकार भी इस दिशा में विचार करने लगी है। एक सूत्र ने बताया कि केंद्र सरकार इस विचार पर गौर कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले दिनों कोरोना के खिलाफ लंबी लड़ाई की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि हमें यह लड़ाई जीतनी ही है, हमें थकना नहीं है और निराश नहीं होना है।
जिलेवार प्रतिबंध हटाने का विचार
पीएम मोदी ने सोमवार को कैबिनेट की बैठक में भी संकेत दिए थे कि लॉकडाउन पूरी तरह हटाए जाने की संभावना नहीं है। उन्होंने लॉकडाउन हटाने के तरीकों पर मंत्रियों से चर्चा की। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या प्रतिबंध सेक्टर और जिलावार हटाने पर विचार किया जा सकता है।
शिक्षण और धार्मिक संस्थान बंद रखने की सिफारिश
कोविड-19 पर बने मंत्री समूह ने भी मंगलवार को सिफारिश की कि सभी शिक्षण संस्थान और धार्मिक गतिविधियां 15 मई तक प्रतिबंधित रहनी चाहिए, भले ही सरकार 21 दिनों का लॉकडाउन खत्म करे या नहीं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रीसमूह की बैठक का निष्कर्ष था कि धार्मिक संस्थान और शॉपिंग मॉल को कम से कम चार सप्ताह तक बंद रखना चाहिए।
राज्यों की सलाह
कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी लॉकडाउन बढ़ाने और प्रतिबंध चरणबद्ध तरीके से हटाने का सुझाव दिया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अगर जरूरत हुई तो उनकी सरकार लॉकडाउन बढ़ाएगी। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा कि उनके राज्य में लॉकडाउन तुरंत नहीं हटाया जा सकता है। इसे चरणबद्ध तरीके से हटाया जा सकता है। कर्नाटक में कोरोना वायरस से जुड़े मसले देख रहे राज्य के मंत्री सुधाकर ने कहा कि कोविड-19 के हॉटस्पॉट में कम से कम दो हफ्तों तक प्रतिबंध लगे रहने चाहिए। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. सी. राव ने भी पीएम मोदी से लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने की अपील की है। मुख्यमंत्री राव ने लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने की सबसे जोरदार मांग उठाई। मुख्यमंत्रियों का कहना है कि देश लॉकडाउन के आर्थिक संकट से निपट सकता है लेकिन इसमें ढील देने से संक्रमण तेजी से फैलने पर खत्म होने वाली जिंदगियां वापस नहीं लाई जा सकती है।
लेकिन गरीबों का संकट अत्यंत गंभीर
हालांकि लॉकडाउन बढ़ाने का आर्थिक प्रभाव बेहद गंभीर हो सकता है। कोविड-19 महामारी के प्रभाव पर इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (आइएलओ) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ कामगार और मजदूर गरीबी की गर्त में और धस जाएंगे। लॉकडाउन और संक्रमण रोकने के लिए किए जा रहे दूसरे उपायों से उनके रोजगार और आमदनी पर बुरा असर पड़ रहा है। आइएलओ का कहना है कि भारत में 90 फीसदी कामगार असंगठित क्षेत्र में ही काम करते हैं, उनके लिए लॉकडाउन गंभीर संकट लेकर आया है। इसी वजह से करोड़ों लोग कामकाज छोड़कर अपने गांव लौटने को मजबूर हुए।