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धर्मस्थलों पर उमड़ रही भीड़, जाने कैसे हो सकती है यह मंदिर प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सतर्कता से व्यवस्थित?

छुट्टियों के मौसम में या वर्ष के किसी भी अन्य शुभ समय में धर्मस्थलों पर सामान्य से अधिक भक्तों के आने...
धर्मस्थलों पर उमड़ रही भीड़, जाने कैसे हो सकती है यह मंदिर प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सतर्कता से व्यवस्थित?

छुट्टियों के मौसम में या वर्ष के किसी भी अन्य शुभ समय में धर्मस्थलों पर सामान्य से अधिक भक्तों के आने की संभावना होती ही है। ऐसे समय में भीड़ का प्रबंधन बहुत जरूरी हो जाता है। सामान्य से ज्यादा श्रद्धालुओं को संभालने के लिए सावधानीपूर्वक की गई व्यवस्था और पर्याप्त कम्युनिकेशन की आवश्यकता होती है। भीड़ को प्रबंधित करने की इस जरूरत को नजरअंदाज करने के कारण ही त्योहारों के समय, पीक सीजन में या शुभ दिनों के दौरान तीर्थ स्थानों पर कई बार कुछ अप्रत्याशित घटनाएं हो जाती हैं। ज्यादातार ऐसी घटनाएं भीड़ को नियंत्रित नहीं कर पाने के कारण ही होती हैं, क्योंकि इतनी ज्यादा संख्या में लोगों को संभालना प्रबंधन की क्षमता से परे हो जाता है। ऐसी स्थितियां अक्सर तीर्थयात्रियों में घबराहट और असुविधा का कारण बनती हैं। इसलिए सभी धार्मिक स्थलों के अधिकारियों को सामान्य क्षमता से अधिक भीड़ वाले समय के लिए कुछ एहतियाती कदम उठाने चाहिए। टेंपल कनेक्ट एंड आईटीसीएक्स के सीईओ गिरेश कुलकर्णी के कुछ टिप्स दिए हैं, आइये डालते हैं उसपर एक नजर।

मंदिर प्रबंधन के लिए:

मंदिर संबंधी गतिविधियों के कुशल प्रशासन के लिए एक संतुलित रणनीति की जरूरत होती है। भक्त मंदिर के प्रांगण में सुगमता से घूम सकें, इसके लिए जरूरी है कि उन्हें नीतियों, प्रक्रियाओं, विशेष आयोजनों और मंदिर में लगाए गए विभिन्न संकेतकों के बारे में अच्छे से पता हो। यह जागरूकता भक्तों को वहां पहुंचने के बाद किसी भी भ्रम से बचाती है। ज्यादा भीड़ की स्थिति में आवश्यक प्रोटोकॉल के पालन सहित सभी भक्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। मंदिर प्रबंधन के लिए सबसे बुनियादी जरूरत है भक्तों के मन में सुरक्षा की भावना जगाना। किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से बचने के लिए मंदिर प्रबंधन की तरफ से प्रशिक्षित कर्मियों या वालंटियर्स की नियुक्ति की जा सकती है। इन्हें हमेशा तैयार रखना चाहिए। एक बात तो सभी जानते हैं कि व्यस्त समय में श्रद्धालुओं को लाइन व्यवस्थित रखने में वहां लगाई गई रस्सियों और बैरियर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। साथ ही वहां उपस्थित कर्मचारियों द्वारा मिलने वाला मार्गदर्शन भी महत्वपूर्ण होता है। ये भीड़ प्रबंधन के बुनियादी उपाय हैं। एक खास बात, लाइन में प्रतीक्षा का समय, विशेष आयोजन, एक्सप्रेस एंट्री ऑप्शन या पूजा के कार्यक्रम में बदलाव जैसी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में सभी को सूचित करते रहने के लिए नोटिस बोर्ड या इंटरकॉम सिस्टम पर अनाउंसमेंट बहुत जरूरी है।

मंदिर प्रबंधकों, सुरक्षाकर्मियों और वॉलंटियर्स को चिकित्सा संबंधी बुनियादी समस्याओं से निपटने के लिए अच्छी तरह प्रशिक्षित होना चाहिए। इसके अलावा, स्ट्रेटजिक तरीके से स्थापित किए गए प्राथमिक चिकित्सा केंद्र भी भक्तों को घबराहट से बचाने में भूमिका निभाते हैं। व्यवस्था संभालने में लगे वॉलंटियर्स कितने प्रशिक्षित हैं, इससे भी श्रद्धालुओं के अनुभव पर असर पड़ता है। अनुभवी वॉलंटिसर्य भक्तों को सही तरह निर्देश दे पाते हैं और भक्तों एवं वॉलंटियर्स के बीच किसी भी टकराव की आशंका कम होती है। इसलिए पीक आवर्स में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अनुभवी वॉलंटियर्स को नियुक्त करना ही सही कदम है।

ऑनलाइन रिजर्वेशन भी भीड़ को प्रबंधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। ऑनलाइन रिजर्वेशन से किसी टाइम स्लॉट में श्रद्धालुओं की संख्या को नियंत्रित करना संभव होता है। इमर्जेंसी के लिए पूरी स्ट्रेटजी तैयार रखना और स्थानीय प्रशासन का सहयोग लेना भी जरूरी है। बात जब स्ट्रेटजी की हो, तो कानून व्यवस्था का अनुपालन और इमर्जेंसी सर्विसेज इसका महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

भक्तों के लिए: 

पूजा स्थलों पर शांति बनाए रखने के लिए मंदिर के कर्मचारियों और भक्तों दोनों की ओर से प्रयास होना चाहिए। यात्रा शांतिपूर्ण ढंग से पूरी हो, इसके लिए जरूरी है कि श्रद्धालु किसी पूजा स्थल पर जाने से पहले ही विशेष अवसरों और शुभ दिनों से संबंधित मंदिर की गतिविधियों, नियमों एवं पोशाक आदि से जुड़े प्रावधानों के बारे में अच्छे से पता लगा लें। इससे लंबी लाइन से बचना संभव होता है और यात्रा का अनुभव भी सुखद होता है। आस्था का सम्मान करना और दूसरों के प्रति सम्मान बनाए रखना तीर्थस्थलों की पवित्रता को बढ़ाने वाले कदम हैं।

किसी भी यात्रा में धैर्य रखना सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि व्यस्त समय, नए साल या अनुष्ठान या शुभ दिनों में और लाइन में लगे होने के दौरान भक्तों से धैर्य की उम्मीद की जाती है। सही ढंग से कपड़े पहनना और हाइड्रेटेड रहने में समझदारी है, क्योंकि इससे अपने स्वास्थ्य के प्रति आपकी सजगता दिखती है। जहां जा रहे हैं, वहां की जलवायु और मौसम के बारे में भी पता रखना जरूरी है, खासकर यदि वहां का मौसम ज्यदा अलग हो। इसके अलावा कूड़ा फेंकने के लिए कूड़ेदानों का प्रयोग करना मंदिर प्रांगण को साफ रखने और पर्यावरण का सम्मान करने में योगदान देता है। शोर-शराबा न करें और किसी तरह की परेशानी न पैदा करें, साथ ही सभी की निजता का सम्मान भी करें।

एक और बात, भक्तों को बिना घबराए लंबी लाइन और घंटों के इंतजार के लिए तैयार रहना चाहिए और लाइन में लगे होने के दौरान स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए। आगे निकलने के लिए धक्का देने या लाइन तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश गलत है, क्योंकि लाइन में हर व्यक्ति भगवान के दर्शन के लिए ही लगा है। इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर मंदिर प्रशासन और भक्त मिलकर छुट्टियों, शुभ दिनों एवं अन्य विशेष आयोजनों के दौरान पूजा स्थल पर विनम्र एवं व्यवस्थित माहौल सुनिश्चित कर सकते हैं।


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