दिल्ली की एक अदालत ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक मानहानि के मामले में नोटिस जारी किया है। यह मामला आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक दुर्गेश पाठक की पत्नी अंकिता पाठक द्वारा दायर किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सार्वजनिक रूप से उनके नाम का जिक्र कर झूठे और अपमानजनक आरोप लगाए, जिससे उनकी छवि को गहरा नुकसान पहुंचा है।
अंकिता पाठक का कहना है कि वह एक निजी व्यक्ति हैं, जिनका न तो राजनीति से कोई लेना-देना है और न ही वह सार्वजनिक जीवन का हिस्सा हैं। इसके बावजूद, वित्त मंत्री ने एक राजनीतिक विवाद के दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके नाम को घसीटते हुए उन पर भ्रष्टाचार से जुड़े आरोप लगाए, जिससे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा पर बुरा असर पड़ा। उन्होंने कोर्ट से गुहार लगाई है कि इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयानों पर लगाम लगाई जाए और उन्हें न्याय मिले।
अदालत ने उनकी याचिका पर संज्ञान लेते हुए निर्मला सीतारमण को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अदालत ने यह भी माना कि प्रथम दृष्टया यह मामला मानहानि का बनता है और इसमें गंभीरता से सुनवाई की आवश्यकता है। अदालत ने कहा कि किसी निजी व्यक्ति के नाम को बिना पर्याप्त प्रमाण के सार्वजनिक रूप से उजागर करना उनकी निजता और गरिमा का हनन हो सकता है।
इस मामले ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने इस घटनाक्रम को सत्ता पक्ष द्वारा निजी व्यक्तियों को निशाना बनाने की एक और मिसाल बताया है, वहीं भाजपा की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
यह मामला सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं है, बल्कि राजनीतिक बयानबाजी की सीमाओं और व्यक्तिगत गरिमा के अधिकार के टकराव को उजागर करता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या यह मामला देश में राजनीतिक संवाद की मर्यादाओं पर कोई स्थायी असर छोड़ता है।