अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने सिंगापुर में 20 जुलाई 2025 को हुई अपनी वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में कई बड़े फैसले लिए। सबसे प्रमुख फैसला इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) को 2027, 2029 और 2031 के वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल की मेजबानी देने का रहा। आईसीसी ने ईसीबी के हाल के फाइनल आयोजनों में सफल ट्रैक रिकॉर्ड का हवाला देते हुए यह निर्णय लिया। इस फैसले ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की मेजबानी की मांग को नजरअंदाज कर दिया, जिसने 2027 के फाइनल की मेजबानी की इच्छा जताई थी।
आईसीसी ने कहा कि इंग्लैंड की जून की अनुकूल मौसम स्थिति और वहां की बुनियादी सुविधाएं इस फैसले का आधार हैं। पहले तीन डब्ल्यूटीसी फाइनल (2021 में साउथम्पटन, 2023 में द ओवल, और 2025 में लॉर्ड्स) भी इंग्लैंड में हुए थे। बीसीसीआई ने एशियाई पिचों पर फाइनल आयोजित करने की मांग की थी ताकि खेल में विविधता आए, लेकिन आईसीसी ने इसे खारिज कर दिया। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के फाइनल में न पहुंचने पर दर्शकों की संख्या कम होने और भारत-पाकिस्तान तनाव जैसे कारणों ने भी इस फैसले को प्रभावित किया।
इसके अलावा, आईसीसी ने तिमोर-लेस्ते क्रिकेट फेडरेशन और जाम्बिया क्रिकेट यूनियन को अपने सहयोगी सदस्य के रूप में शामिल किया, जिससे कुल सदस्यों की संख्या 110 हो गई। यह कदम वैश्विक क्रिकेट के विस्तार को दर्शाता है। आईसीसी ने अफगान मूल की विस्थापित महिला क्रिकेटरों के समर्थन के लिए एक कार्यक्रम की भी घोषणा की, जिसमें बीसीसीआई, ईसीबी और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर 2025 में भारत में होने वाले महिला क्रिकेट विश्व कप और 2026 में इंग्लैंड में होने वाले टी20 विश्व कप में भागीदारी के अवसर दिए जाएंगे।
आईसीसी ने अमेरिका क्रिकेट की स्थिति पर भी चर्चा की, जिसे प्रशासनिक सुधार और तीन महीने में निष्पक्ष चुनाव करने का निर्देश दिया गया। यह फैसला बीसीसीआई के लिए झटका है, क्योंकि भारत के पूर्व सचिव और वर्तमान आईसीसी अध्यक्ष जय शाह के नेतृत्व में भी मेजबानी का मौका नहीं मिला। क्रिकेट प्रशंसकों और विशेषज्ञों ने इस पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है, कुछ ने इंग्लैंड की बुनियादी सुविधाओं की तारीफ की, तो कुछ ने इसे टेस्ट क्रिकेट की वैश्विक अपील को सीमित करने वाला बताया।