फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। इस हमले में 26 लोग, ज्यादातर पर्यटक, मारे गए थे। FATF ने कहा कि इस तरह के हमले बिना वित्तीय समर्थन और धन हस्तांतरण के संभव नहीं हो सकते। यह बयान भारत के उस प्रयास को बल देता है, जिसमें वह पाकिस्तान को आतंकवाद वित्तपोषण के लिए FATF की ग्रे लिस्ट में वापस लाने की कोशिश कर रहा है।
पहलगाम के बैसारन मीडो में हुए इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी। भारत ने इसे पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का सबूत बताया। हमले के जवाब में, भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। FATF ने अपने बयान में कहा, “आतंकवादी हमले लोगों को मारते हैं, डर फैलाते हैं। पहलगाम हमला बिना धन और समर्थकों के बीच धन हस्तांतरण के संभव नहीं था।”
FATF ने आतंकवाद वित्तपोषण पर नकेल कसने के लिए देशों की प्रभावशीलता की जांच बढ़ाने का ऐलान किया और जल्द ही आतंकवाद वित्तपोषण, जिसमें राज्य प्रायोजित आतंकवाद शामिल है, पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी करने की बात कही। भारत इस हमले को वैश्विक मंचों पर उठा रहा है, और UNSC की 1267 सैंक्शन्स कमेटी को TRF की गतिव acum्लियों पर जानकारी दी गई है।
पाकिस्तान ने हमले में अपनी भूमिका से इनकार किया है, लेकिन भारत ने सबूतों के साथ दावा किया कि हमलावर पाकिस्तान प्रशिक्षित थे। FATF की यह दुर्लभ निंदा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक मजबूत संदेश है कि आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है। भारत ने इस हमले के बाद इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित कर दिया और अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद कर दिया।
यह मामला क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। भारत की कूटनीतिक कोशिशें और FATF की कार्रवाई से पाकिस्तान पर दबाव बढ़ सकता है।