विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने BIMSTEC सम्मेलन के दौरान कहा कि आज की दुनिया ऐसी वैश्विक व्यवस्था चाहती है जो सिर्फ कुछ गिने-चुने देशों के दबदबे पर न टिकी हो, बल्कि सभी के विचारों और जरूरतों का समान रूप से प्रतिनिधित्व करती हो। उन्होंने कहा कि हम उस समय में जी रहे हैं जहां वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को नए रूप में परिभाषित किया जा रहा है। ऐसे में आवश्यक है कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था अधिक न्यायपूर्ण, बहुपक्षीय और प्रतिनिधिक हो।
जयशंकर ने यह बात ऐसे समय में कही जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर आरोप लगाया है कि वह रूस से सस्ते में तेल खरीदकर अमेरिका जैसे देशों को ऊंचे दामों पर बेच रहा है। इन आरोपों को लेकर भारत की ओर से प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया तो नहीं आई, लेकिन जयशंकर का यह वक्तव्य कई मायनों में भारत की स्थिति को स्पष्ट करता है।
BIMSTEC यानी बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल के तहत जयशंकर ने क्षेत्रीय सहयोग और समावेशी विकास की बात भी कही। उन्होंने कहा कि यह समय एशिया के देशों को एकजुट होकर एक स्थिर, टिकाऊ और लचीली व्यवस्था गढ़ने का है, जो न सिर्फ क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करे, बल्कि वैश्विक मंच पर भी एक वैकल्पिक दृष्टिकोण रख सके।
उन्होंने कहा कि भारत BIMSTEC जैसे मंचों के जरिए इस तरह की व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके तहत व्यापार, कनेक्टिविटी, तकनीकी सहयोग और सांस्कृतिक साझेदारी को मजबूत किया जाएगा। यह वक्तव्य संकेत देता है कि भारत अब सिर्फ द्विपक्षीय रिश्तों तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि वह बहुपक्षीय सहयोग के जरिए एक अधिक समान, जिम्मेदार और उत्तरदायी वैश्विक व्यवस्था की दिशा में अग्रसर है।