1988 के रोड रेज मामले में कांग्रेस नेता और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। मामले में पीड़ित परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर की है। पिटीशन में कोर्ट से पहले के आदेश में संशोधन की अपील की गई है।
निचली अदालत ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों के अभाव में 1999 में बरी कर दिया था। लेकिन पीड़ित पक्ष निचली अदालत के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचा। 2006 में हाईकोर्ट ने इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को दोषी मानते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ नवजोत सिंह सिद्धू सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2018 को सिर्फ जुर्माना लगाकर सिद्धू को बरी कर दिया।
ये है मामला
1988 में नवजोत सिंह सिद्धू पटियाला में कार से कहीं जा रहे थे और उस समय गुरनाम सिंह नामक एक बुजुर्ग शख्स से झगड़ा हो गया। बताया जाता है कि गुरनाम सिंह और उनके बीच वाद विवाद हुआ जिसके बाद सिद्धू अपना आपा खो बैठे। उन्होंने गुरनाम सिंह को थप्पड़ जड़ दिया जिसमें उनकी मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था।