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बेटे की याद में बुजुर्गों को फ्री में खाना खिलाते हैं ये मां-बाप, देखें तस्वीरें

ऐसा कहा जाता है कि भूखे को खाना खिलाना सबसे बड़ा धर्म और पुण्य का काम होता है। यह भी कहा जाता है कि किसी...
बेटे की याद में बुजुर्गों को फ्री में खाना खिलाते हैं ये मां-बाप, देखें तस्वीरें

ऐसा कहा जाता है कि भूखे को खाना खिलाना सबसे बड़ा धर्म और पुण्य का काम होता है। यह भी कहा जाता है कि किसी भूखे को देखो तो उसे खाना जरुर खिलाना चाहिए, घर के दरवाजे पर आए किसी भी गरीब-दुखिया को भूखा नहीं भेजना चाहिए या खाली हाथ नहीं भेजना चाहिए। मुंबई के रहने वाले एक दंपत्ति भी अपने बेटे की याद में कुछ ऐसा ही काम कर रहे हैं जो शायद पहले किसी ने नहीं किया। ये पिछले पांच सालों से बुजुर्गों को मुफ्त में खाना खिलाने का काम कर रहे हैं।

मुंबई के रहने वाले ये दंपत्ति ऐसा अपने बेटे की याद में कर रहे हैं, जिसकी मौत साल 2011 में एक ट्रेन हादसे में हो गई थी। बेटे को खोने का गम और उसकी याद में बुजुर्गों को खाना खिलाने वाले ये दंपत्ति वाकई दूसरों के लिए प्रेरणा हैं। 

न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, दमायंती और उनके पति प्रदीप तन्ना साल 2011 में एक ट्रेन दुर्घटना में अपने बेटे को खोने के बाद टूट गए थे, लेकिन उन्होंने कुछ ऐसा करने का फैसला किया, जो मौत के दौरान उनके बेटे को शांति देगा। इस दंपति ने बेटे के नाम से एक ट्रस्ट खोला, जो बुजुर्गों को फ्री में खाना मुहैया कराता है।

ये दंपत्ति अपने इलाके के 110 बुजुर्गों को हर दिन खाना खिलाते हैं। दमायंती तन्ना ने बताया कि वो 110 वरिष्ठ नागरिकों को खाना और हर महीने 100 लोगों को खाने का सामान मुहैया कराते हैं, जिससे कि वो अपना खाना खुद बना सकें। इसके साथ ही वो पिछड़े इलाके के बच्चों के लिए कपड़े और किताबें भी मुहैया कराते हैं।

दमायंती ने बताया कि अपने बेटे को खोने के बाद उन्होंने तय किया कि जिन बच्चों ने अपने मां-बाप को छोड़ दिया या जिन मां-बाप के बच्चे इस दुनिया में नहीं हैं, वो उन्हें खाना मुहैया कराएंगी। उन्होंने कहा कि वो अपने दम पर ये काम कर रही हैं। इसके साथ ही, इस काम में कुछ मदद दोस्त और रिश्तेदार भी कर देते हैं।

वहीं, पति प्रदीप तन्ना का कहना है कि उनके ट्रस्ट में जात-पात, ऊंच-नीच और धर्म का कोई मोल नहीं है। बेटे को खोने के बाद वो टूट गए थे और समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। उसके बाद तय किया कि हम न सिर्फ जिंदगी जिएंगे बल्कि अपने बेटे की यादों को भी जिंदा रखेंगे। उन्होंने बताया कि वो सिर्फ उन लोगों को खाना देते हैं जिनकी उम्र 60 से ऊपर है और खाने की जरूरत है। ये काम वो पिछले 5 सालों से करते आ रहे हैं।

 

यहां देखें वीडियो-

 

 

 

 

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