Advertisement

SC/ST कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से चिंतित विपक्षी नेता राष्ट्रपति से मिले, सौंपा ज्ञापन

हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी कानून के तहत गिरफ्तारी पर रोक लगाने के फैसले को लेकर विपक्षी...
SC/ST कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से चिंतित विपक्षी नेता राष्ट्रपति से मिले, सौंपा ज्ञापन

हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी कानून के तहत गिरफ्तारी पर रोक लगाने के फैसले को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और उन्हें अपनी चिंताओं से अवगत कराया।

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी कानून के तहत दर्ज मामलों में गिरफ्तारी पर रोक लगाने के आदेश के खिलाफ विपक्षी दलों के नेता 28 मार्च की शाम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद की अगुआई में इन नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले को लेकर अपनी चिंताएं राष्ट्रपति के समक्ष रखी और एक ज्ञापन भी सौंपा। इस दल में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, आनंद शर्मा, अहमद पटेल भी शामिल थे।


इससे पहले मुलाकात के बारे में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक ट्वीट कर जानकारी दी थी। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा था, “पूरे भारत में दलितों और आदिवासियों के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों की पृष्ठभूमि में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम में गिरफ्तारी के प्रावधानों को खत्म करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। विपक्षी दलों के नेता इसको लेकर अपनी चिंताएं साझा करने के लिए आज शाम राष्ट्रपति कोविंद से मुलाकात करेंगे।”

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अपने फैसले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत होने वाली तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। महाराष्ट्र की एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि इस अधिनियम का गलत इस्तेमाल हो रहा है। इसे फैसले के बाद बीजेपी में विरोध के सुर भी उठे हैं।सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर बीजेपी के अंदर से भी विरोध के स्वर उठ रहे हैं।

उत्तर पश्चिम-दिल्ली से लोकसभा सांसद और ऑल इंडिया कंफेडरेशन फॉर एससी-एसटी के अध्यक्ष उदित राज ने एससी-एसटी कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता जताते हुए नवजीवन से कहा था कि केंद्र सरकार को इस संबंध में तत्काल एक पुनरीक्षण याचिका दाखिल करनी चाहिए या फिर संसद में इस संबंध में एक बिल लाना चाहिए।

वहीं, बीजेपी के एसटी मोर्चा के अध्यक्ष अरविंद नेताम ने भी सरकार से मांग की थी कि वह सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दायर करें। केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी केंद्र से इस मामले में जल्द ही याचिका दायर करने का अनुरोध किया है। उन्होंने इस फैसले के आने के बाद कहा था, “सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अनुसूचित जाति और जनजातियों में बहुत अधिक नाराजगी है और सरकार को जल्द पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए।”पिछले साल की नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, 2016 में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराधिक मामलों में 2015 के मुकाबले 5.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2016 में कुल 40,801 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि 2015 में ये आंकड़ा 38,670 तक ही था।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad