कथित दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में हिरासत में चल रहे आप नेता संजय सिंह ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि गिरफ्तारी से पहले उन्हें कोई समन जारी नहीं किया गया था। सिंह के वकील ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के गवाह दिनेश अरोड़ा द्वारा जुलाई 2023 में उनके खिलाफ बयान देने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका पर सिंह की ओर से दलीलें सुन रही थी। पीठ ने कहा कि वह इस मामले में दो अप्रैल को भी दलीलें सुनना जारी रखेगी।
सिंह का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा, ''मुझे (सिंह) पहली बार 19 जुलाई, 2023 को किसी दिनेश अरोड़ा द्वारा नामित किया गया था। इस तिथि से पहले, उसी दिनेश अरोड़ा द्वारा नौ बयान दिए गए थे, जिसमें उन्होंने कभी मेरा नाम नहीं लिया था।'' अरोड़ा को एक निचली अदालत ने माफी दे दी थी और मामले में सरकारी गवाह बना दिया था।
वरिष्ठ वकील ने कहा कि सिंह को कोई समन जारी नहीं किया गया और ईडी के अधिकारी सीधे उनके घर आए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सिंह ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को भी चुनौती दी थी जिसने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया था।
उच्च न्यायालय ने 7 फरवरी को सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जो दिल्ली से राज्यसभा के लिए फिर से चुने गए हैं, लेकिन निचली अदालत को सुनवाई शुरू होने पर इसमें तेजी लाने का निर्देश दिया था। सिंह को इस मामले में पिछले साल 4 अक्टूबर को ईडी ने गिरफ्तार किया था।
उच्च न्यायालय के समक्ष, सिंह ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वह तीन महीने से अधिक समय से हिरासत में हैं और इस अपराध में उनकी कोई भूमिका नहीं बताई गई है। जांच एजेंसी ने उच्च न्यायालय में जमानत याचिका का विरोध किया था और दावा किया था कि सिंह 2021-22 की नीति अवधि से संबंधित दिल्ली शराब घोटाले से उत्पन्न अपराध की आय को प्राप्त करने, रखने, छिपाने, फैलाने और उपयोग करने में शामिल थे।
एजेंसी ने आगे दावा किया था कि AAP नेता ने अवैध धन या रिश्वत प्राप्त की है जो शराब नीति (2021-22) घोटाले से उत्पन्न अपराध की आय है और उन्होंने दूसरों के साथ साजिश में भी भूमिका निभाई है। ईडी का मनी लॉन्ड्रिंग मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एफआईआर से उपजा है। सीबीआई और ईडी के अनुसार, अब समाप्त हो चुकी दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।