गोराया से पहले भाजपा की छात्रा शाखा से तीन लोग और इस्तीफा दे चुके हैं। पहले इस्तीफा दे चुके तीनों सदस्यों के साथ भी एबीवीपी के मतभेद सामने आए थे। इससे पहले 9 फरवरी 2016 को जेएनयू परिसर में भारत के खिलाफ नारेबाजी की घटना के बाद तत्कालीन एबीवीपी जेएनयू इकाई के संयुक्त सचिव प्रदीप नरवाल और दो अन्य ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था।
गोराया वही हैं जिन्होंने हाल ही में मनुस्मृति में दलित एवं महिला विरोधी सिद्धांतों के विरूद्ध विश्वविद्यालय परिसर में हुए प्रदर्शन के दौरान कुछ छात्रों के साथ मिल कर इस प्राचीन ग्रंथ के पन्ने जलाए थे। गोराया ने बताया, मैंने एबीवीपी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है और खुद को जातिवादी, हास्यास्पद एवं पुरूष प्रधान संगठन से अलग करता हूं। अभाविप का आचरण उसके जोड़तोड़ वाले फासीवादी तथा रुढ़िवादी चेहरे को उजागर करता है। फिलहाल गोराया ने किसी भी दूसरे राजनीतिक संगठन में शामिल होने की संभावना से इनकार किया है।
भाषा एजेंसी