आखिरकार हफ्तों तक चले संघर्ष के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर शासन हासिल कर लिया है। राजधानी काबुल तक पहुंचने के बाद अब इस कट्टर इस्लामिक संगठन के हाथ में सत्ता आने का आधिकारिक ऐलान करना ही बाकी बचा हुआ है। वर्तमान राष्ट्रपति अशरफ गनी शांतिपूर्ण तरीके से तालिबान के हाथ में सत्ता सौंपने के लिए तैयार हैं। ऐसे में बताया जा रहा है कि अली अहमद जलाली को अफगानिस्तान का अंतरिम राष्ट्रपति बनाया जा सकता है।
तालिबान रिटर्न के मुहाने पर खड़े अफगानिस्तान के हालात को लेकर घर और अपने वतन से दूर दिल्ली में रह रहे अफगानी भी चिंतित हैं। अफगानिस्तान की आवाम डरी हुई है और फिक्रमंद है अपने वतन के मुस्तकबिल को लेकर कि तालिबानी फरमान वाले राज में उनके बच्चों का क्या होगा। अफगानिस्तान में खराब हालात के चलते कई साल पहले वतन छोड़कर हिंदुस्तान में बतौर रिफ्यूजी चले आए लोग बड़ी तादाद में दिल्ली के लाजपत नगर में रहते हैं।
अफगान कॉलोनी में यहां ज्यादातर अफगानी नागरिक ही रहते हैं। इन रिफ्यूजी अफगानी नागरिकों के अलावा बड़ी संख्या अफगानिस्तान से आने वाले उन लोगों की भी है जो अपना इलाज कराने, नौकरी की तलाश में या बेहतर तालीम के लिए भारत आते हैं।
अफगान की एक महिला के मुताबिक, तालिबान से सबसे ज्यादा दहशत में महिलाएं हैं। तालिबानी हुकूमत में महलाओं को उनका अधिकार नहीं दिया जाता। तालिबानी राज में महिलाओं को ऐसी ऐसी यातनाएं सहनी सहनी पड़ती हैं जिसे सुनकर कलेजा कांप जाए। वे लड़कियों से जबरदस्ती निकाह करते हैं और मस्जिदों से ऐलान किया जाता है कि जिसके घर में चार बेटी हों वे अपनी बेटियों को तालिबान को सौंप दें।