गुजरात के अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को हुए 18 सिलसिलेवार बम धमाकों पर दिए अपने फैसले में विशेष अदालत ने कहा कि 38 दोषी मौत की सजा के लायक हैं क्योंकि ऐसे लोगों का समाज में रहना ''आदमखोर तेंदुए'' को खुला छोड़ने के समान है जोकि बिना इसकी परवाह किये बिना निर्दोष लोगों को मारता है कि वे बच्चे हैं, युवा हैं, बुजुर्ग हैं या किसी भी जाति व समुदाय के हैं।
विशेष न्यायाधीश ए आर पटेल ने अपने आदेश में कहा, '' दोषियों ने एक शांतिपूर्ण समाज में अशांति उत्पन्न की और यहां रहते हुए राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया। उनका संवैधानिक तरीके से चुनी गई केंद्र और गुजरात सरकार के प्रति कोई सम्मान नहीं है और इनमें से कुछ सरकार और न्यायपालिका में नहीं बल्कि केवल अल्लाह में भरोसा करते हैं।''
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 में अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में विशेष अदालत ने शुक्रवार को इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के 38 सदस्यों को मौत की सजा सुनाई। इसी मामले में अदालत ने 11 अन्य को उम्रकैद की सुजा सुनाई। इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक अन्य घायल हो गए थे।
मौत की सजा पाए संजरपुर निवासी मोहम्मद सैफ के पिता शादाब अहमद ने कहा, 'निचली अदालत के फैसले से हम संतुष्ट नहीं हैं। अब हम उसके फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। कोर्ट ने पिछले साल तीन सितंबर को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन उसे करीब पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव के ठीक बीच में सुनाया जाना, कई सवाल खड़े करता है।'
मौत की सजा पाए संजरपुर निवासी आरिफ के भाई अमीर हमजा ने कहा पूरा मामला राजनीति से प्रेरित है। हम उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। हालांकि सजा पाए बाकी लोगों के परिजन इस मामले पर कुछ भी बोलने से इनकार कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय लोग अहमदाबाद बम धमाकों के मामले में निचली अदालत के फैसले के समय पर सवाल उठा रहे हैं।
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को यह निर्णय आने के बाद कानपुर में अपनी एक चुनावी सभा में कहा था कि सपा आतंकवादियों को संरक्षण देने वाली पार्टी है और अहमदाबाद बम धमाके के मामले में सजा पाए एक अभियुक्त का पिता इसी पार्टी के लिए वोट मांग रहा है।