सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि 12 जून को हुए एयर इंडिया हादसे पर विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) की शुरुआती रिपोर्ट के कुछ पहलू 'गैर-जिम्मेदाराना' थे, जिसमें पायलटों की ओर से चूक का संकेत दिया गया था। साथ ही स्वतंत्र, निष्पक्ष और त्वरित जांच की मांग वाली एक याचिका पर केंद्र और नागरिक उड्डयन महानिदेशक को नोटिस जारी किए।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 12 जुलाई को जारी विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) की प्रारंभिक रिपोर्ट के कुछ पहलुओं पर ध्यान दिया। गैर-सरकारी संगठन 'सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन' की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि दुर्घटना के बाद गठित जांच पैनल में तीन सदस्य विमानन नियामक से थे और इसमें हितों के टकराव का मुद्दा शामिल हो सकता है।
उन्होंने विमान के फ़्लाइट डेटा रिकॉर्डर से जानकारी जारी करने की मांग की, ताकि दुर्घटना के कारणों का पता चल सके। पीठ ने कहा कि इस मामले में गोपनीयता, निजता और गरिमा के पहलू शामिल हैं। इस बात की चेतावनी देते हुए कि विशेष प्रकार की जानकारी जारी करने का प्रतिद्वंद्वी एयरलाइनों द्वारा दुरुपयोग किया जा सकता है, पीठ ने कहा कि वह दुर्घटना की स्वतंत्र, निष्पक्ष, स्वतंत्र और त्वरित जांच के सीमित पहलू पर ही ध्यान दे रही है।
यह याचिका कैप्टन अमित सिंह के नेतृत्व वाले एक विमानन सुरक्षा एनजीओ द्वारा दायर की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि आधिकारिक जांच नागरिकों के जीवन, समानता और सच्ची जानकारी तक पहुंच के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।
याचिका में कहा गया है कि एएआईबी ने 12 जुलाई को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की, जिसमें दुर्घटना के लिए 'ईंधन कटऑफ स्विच' को 'रन' से कटऑफ में मूव करने को जिम्मेदार ठहराया गया, जो प्रभावी रूप से पायलट की गलती का संकेत देता है।
इसमें आरोप लगाया गया है कि रिपोर्ट में महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई है, जिसमें डिजिटल फ़्लाइट डेटा रिकॉर्डर (डीएफडीआर) का पूरा आउटपुट, टाइम स्टैम्प के साथ कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (सीवीआर) की पूरी ट्रांसक्रिप्ट और इलेक्ट्रॉनिक एयरक्राफ्ट फॉल्ट रिकॉर्डिंग (ईएएफआर) डेटा शामिल हैं। याचिका के अनुसार, आपदा की पारदर्शी और ओब्जेक्टिव अंडरस्टैंडिग के लिए ये सभी जानकारी अनिवार्य हैं।
बता दें कि 12 जून को एयर इंडिया का बोइंग 787-8 विमान जो लंदन के गैटविक हवाई अड्डे के लिए उड़ान भर रहा था, अहमदाबाद से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद एक मेडिकल हॉस्टल परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें 241 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों सहित 265 लोगों की मौत हो गई।
मृतकों में 169 भारतीय, 52 ब्रिटिश, सात पुर्तगाली नागरिक, एक कनाडाई और 12 चालक दल के सदस्य शामिल थे। इस दुर्घटना में जीवित बचे एकमात्र व्यक्ति विश्वकुमार रमेश, एक ब्रिटिश नागरिक थे।