सुप्रीम कोर्ट से थर्ड जेंडर को पहचान देने के निर्देश के बावजूद उनके साथ भेदभाव की खबरें आती हैं। ऐसे ही एक मामले में, एयर इंडिया में नौकरी न मिलने पर ट्रांसजेंडर ने इच्छा मृत्यु की मांग की है।
शानवी का आरोप है कि विमानन कंपनी एयर इंडिया में उसे ट्रांसजेंडर होने की वजह से नौकरी नहीं मिली। नौकरी देने से मना करने के बाद उसने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु दिए जाने की दरख्वास्त की है। शानवी पोन्नुस्वामी ने एयर इंडिया में केबिन क्रू के सदस्य के तौर पर नौकरी के लिए आवेदन किया था।
शानवी ने एएनआई से बातचीत में बताया कि मैंने किसी और एयरलाइन में अप्लाई नहीं किया। जब सरकारी एयरलाइन में आपके लिए (ट्रांसजेंडर) के लिए कोई कैटेगरी नहीं है, तब आप प्राइवेट एयरलाइंस से क्या उम्मीद कर सकते हैं? अब मैं जियूं या मरूं ये राष्ट्रपति के हाथ में है।
Didn't try for another airline because if govt airline says there is no category for you, what can we expect from pvt airlines? Now if I live or die is in hands of Pres: Shanavi, transgender who alleges Air India refused job due to her gender on letter to Pres for mercy-killing pic.twitter.com/QEKuBeAvan
— ANI (@ANI) February 14, 2018
शानवी ने कहा, उन्होंने कहा कि हमारे पास ट्रांसजेडर के लिए कोई कैटेगरी नहीं है। लेकिन क्या मुझे टैक्स पर डिस्कांउट मिलता है। मुझे टैक्स चुकाना पड़ता है। मेरे पास अनुभव और योग्यता है। क्या ये सिर्फ मेरे जेंडर का मामला है?
They said we don't have category for trans-women. But, do I get discount on taxes? I have to pay that, right?I have qualification & experience, is it about my gender?: Shanavi, transgender who alleges Air India refused job due to her gender on her letter to Pres for mercy-killing pic.twitter.com/11WDIIAfy1
— ANI (@ANI) February 14, 2018
कंपनी के नौकरी देने से मना करने के बाद शानवी ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में कंपनी को चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत ने इस संबंध में एयर इंडिया और नागर विमानन मंत्रालय से चार हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा कहा था। राष्ट्रपति को लिखे पत्र में शानवी ने दावा किया है कि न तो एयर इंडिया और न ही नागर विमानन मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट का जवाब दिया है। उसने कहा है कि बिना नौकरी के वह अपना गुजारा करने में सक्षम नहीं है और इसलिए उसे इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए।