मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित एक संपादकीय में कहा गया है मोदी सरकार की प्राथमिकता कोरोना महामारी को कंट्रोल करने की नहीं बल्कि ट्विटर पर अपनी आलोचनाओं को हटाने की है। जर्ल में ने कहा गया है कि "संकट के दौरान आलोचना और खुली चर्चा के प्रयास में पीएम मोदी का कामकाज माफ करने योग्य नहीं है।" इसमें में कहा गया है कि "भारत ने कोविड-19 को नियंत्रित करने में अपनी शुरुआती कामयाबी पर पानी फेर दिया। वहीं, संपादकीय को लेकर कांग्रेस ने भी मोदी सरकार पर निशाना साधा है।
इसमें कहा गया है कि सरकार ने उस धारणा को हवा कर दिया, जिसमें यह जताया जा रहा था कि भारत ने कोविड9 को कई महीनों तक कम मामलों के बाद हरा दिया था। जबकि दूसरी लहर के खतरों की बार-बार चेतावनी दी जाती रही और कोरोना नए स्ट्रेन भी उभरते गए।
संपादकीय में कहा गया है कि पीएम मोदी ने संकट के दौरान आलोचना और खुली चर्चा का गला घोंटने का प्रयास किया है जो कि "अक्षम्य" है। संपादकीय में द इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के अनुमान का जिक्र किया गया है जिसमें गया है कि भारत में 1 अगस्त तक कोरोना से 10 लाख लोगों की मौत होगी। सरकार ने चेतावनी को नजरअंदाज किया है। सुपरस्प्रेडर इवेंट्स को लेकर चेतावनी के बावजूद धार्मिक आयोजनों को आयोजित किया गया और राजनीतिक रैलियां भी की गई जिसमें बड़ी सख्या में लोगों ने भाग लिया।
संपादकीय में देश में टीकाकरण मुहिम की भी आलोचना की गई है और सुझाव भी दिए गए हैं कि वैक्सीनेशन को तर्कसंगत रूप से और तेज गति से लागू करना चाहिए, टीके की आपूर्ति पर जोर देना चाहिए। सरकार को स्थानीय स्वास्थ्य व्यवस्था के साथ काम करना चाहिए और सरकार को स्पष्ट रूप से आंकड़े प्रकाशित करने चाहिए।
कांग्रेस के महासचिव अजय माकन ने कहा कि प्रतिष्ठित स्वास्थ्य पत्रिका लैंसेट ने कहा है कि भारत प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि स्वनिर्मित यानी मोदी सरकार निर्मित राष्ट्रीय आपदा की तरफ बढ़ रहा है। अगस्त तक 10 लाख लोगों के मरने का अनुमान जताया गया है.. यानी अगले 80 दिनों में करीब सात लाख से ज्यादा लोग मारे जाने वाले हैं। माकन ने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने चिट्ठी लिखकर स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को हटाए जानेष दो हफ्तों के राष्ट्रीय लॉकडाउन और सबको टीकाकरण की मांग की है।