दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बीच केंद्र सरकार ने मंगलवार को राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भले ही देश में अब तक मंकीपॉक्स वायरस का कोई मामला सामने नहीं आया है लेकिन भारत को तैयार रहने की जरूरत है। दिशा निर्देशों के अनुसार, संदिग्ध के नमूने एनआईवी पुणे भेजे जाएंगे। मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति की 21 दिन तक निगरानी की जाएगी। संक्रामक अवधि के दौरान किसी रोगी या उनकी दूषित सामग्री के साथ अंतिम संपर्क में आने के बाद 21 दिनों की अवधि के लिए प्रतिदिन निगरानी की जानी चाहिए।
दिशा निर्दिशों के मुताबिक, संदिग्ध मरीज का सैंपल पुणे स्थित एनआईवी में जांच के लिए भेजे जाएंगे जिसे इंटीग्रेटेड डिसीज सर्विलांस प्रोग्राम नेटवर्क के तहत भेजा जाएगा। ऐसे मामलों को संदिग्ध माना जाए, जिसमें किसी भी उम्र का व्यक्ति जिसका पिछले 21 दिनों के भीतर प्रभावित देशों की यात्रा का इतिहास रहा हो। इसके अलावा बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द, शरीर पर दाने जैसा कोई लक्षण हो। मरीज को अस्पताल के आइसोलेशन रूम में या घर पर अलग कमरे में रखा जाएगा। आइसोलेशन तब तक जारी रहेगा जब तक कि मरीज के सभी दाने ठीक नहीं हो जाते और पपड़ी पूरी तरह से गिर नहीं जाती। संदिग्ध या रोगी की कांटेक्ट ट्रेसिंग की जाएगी। मरीज रोगी को ट्रिपल लेयर मास्क पहनना होगा।
अंतरराष्ट्रीय यात्रियों में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें। अगर आप उस क्षेत्र में थे जहां मंकीपॉक्स का मामला मिला है या आपका किसी ऐसे व्यक्ति से संपर्क था जिसे मंकीपॉक्स हो सकता था, तो इस बात की भी सूचना दी जाए।
मई के शुरूआती दिनों से मंकीपॉक्स का प्रकोप हुआ था जिसे देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि ये बीमारी दुनिया के 20 देशों में अपने पैर पसार चुकी है। मंकीपॉक्स होने पर सपाट त्वचा का रंग बदलने लगता है और लाल निशान और गांठें पड़ सकती हैं। या फिर सफेद पस से भरे फफोले शरीर पर पड़ सकते हैं। ये चिकन पॉक्स की तरह दिखाई देते हैं। रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं, जो अपने आप दूर होते चले जाते हैं।