देश में मंकीपॉक्स का दूसरा मामला केरल में ही मिला है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज का कहना है, "कन्नूर के 31 वर्षीय व्यक्ति का वर्तमान में परियाराम मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। मरीज की स्वास्थ्य स्थिति संतोषजनक बताई जा रही है। उसके निकट संपर्क में रहने वालों को निगरानी में रखा गया है।"
मरीज 13 जुलाई को दुबई से तटीय कर्नाटक के मैंगलोर हवाई अड्डे पर उतरा था। बीमारी के लक्षण दिखने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अधिकारी ने कहा कि उसके नमूने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे भेजे गए और मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई।
इससे पहले गुरुवार को देश में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आने के बाद केरल में एक केंद्रीय टीम भेजी गई थी। पहला मरीज 12 जुलाई को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से लौटा था। जिस पर रविवार को स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया था कि केरल में मंकीपॉक्स के मामले सामने आने के बाद तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, कोझीकोड और कन्नूर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर हेल्प डेस्क शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि जिलों में आइसोलेशन केंद्र स्थापित किए गए हैं और मंकीपॉक्स के लक्षण वालों को 21 दिनों के लिए घर में ही रहना चाहिए।
अधिकारियों ने कहा था कि टीम राज्य के स्वास्थ्य विभागों के साथ मिलकर काम करेगी और जमीनी स्थिति का जायजा लेगी और आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की सिफारिश करेगी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले कहा था, "भारत सरकार स्थिति की सावधानीपूर्वक निगरानी करके और राज्यों के साथ समन्वय करके सक्रिय कदम उठा रही है।"
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सभी देशों से सावधान रहने के लिए कहा गया है। दुनिया के 27 देशों में मंकीपॉक्स के करीब 800 मामले सामने आ चुके हैं। संक्रमित मरीज को बुखार, तेज सिर दर्द, सूजन और थकान की शिकायत रहती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मंकीपॉक्स एक वायरस ज़ूनोसिस (जानवरों से मनुष्यों में प्रसारित होने वाला वायरस) है, जिसमें चेचक के रोगियों में अतीत में देखे गए लक्षणों के समान लक्षण होते हैं, हालांकि यह चिकित्सकीय रूप से कम गंभीर है। 1980 में चेचक के उन्मूलन और बाद में चेचक के टीकाकरण की समाप्ति के साथ, मंकीपॉक्स सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण ऑर्थोपॉक्सवायरस के रूप में उभरा है।