नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में आगजनी और तोड़फोड़ से हुए नुकसान की वसूली के लिए यूपी की योगी सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है। पिछले सप्ताह हुई हिंसा के लिए रामपुर प्रशासन ने 28 लोगों को 25 लाख रुपये की वसूली के लिए नोटिस भेजा है। उनसे पूछा गया है कि वे या तो अपनी स्थिति के बारे में बताएं या फिर हुए नुकसान की भरपाई करें। वहीं, मेरठ में नुकसान की भरपाई के लिए 148 लोगों को नोटिस जारी किया गया है और 517 शस्त्र लाइसेंस धारकों से प्रदर्शन के दौरान उनकी मौजदूगी के बारे में जवाब मांगा है।
रामपुर पुलिस और प्रशासन ने जिले भर में लगभग 25 लाख रुपये के नुकसान का आकलन करने के बाद मंगलवार को नोटिस जारी किए। पुलिस ने शुरू में कहा था कि नुकसान की कीमत लगभग 15 लाख रुपये थी, लेकिन अंतिम आकलन में यह आंकड़ा 25 लाख रुपये था।
सात दिन में मांगा जवाब
जिला मजिस्ट्रेट औंजनेय सिंह ने बताया कि विरोध के दौरान हिंसा के लिए पहचाने गए 28 लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं। उन्हें जवाब देने के लिए सात दिन का समय दिया गया है कि क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। जवाब नहीं दिए जाने पर उनसे निजी और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए पैसा वसूलने की कार्यवाही शुरू की जाएगी।
33 को किया गया गिरफ्तार
संशोधित नागरिकता अधिनियम के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान शनिवार को रामपुर में एक 22 वर्षीय व्यक्ति की गोली लगने से मौत हो गई। अधिकारियों के मुताबिक, कई स्थानीय लोग और पुलिसकर्मी घायल हो गए और पुलिस की मोटरसाइकिल समेत छह वाहनों को आग लगा दी गई। पुलिस ने कहा कि रामपुर में हिंसा के आरोप में अब तक 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 150 से अधिक की पहचान की गई है।
शस्त्र लाइसेंस धारकों को नोटिस
मेरठ के जिलाधिकारी अनिल धींगरा का कहना है कि 148 ऐसे लोग हैं, जिन को चिन्हित करके नोटिस जारी किया गया है जिनसे निजी और सरकारी संपत्ति के नुकसान की भरपाई करवाई जाएगी। 517 शस्त्र लाइसेंस धारकों नोटिस जारी कर पूछा गया है कि वह विरोध प्रदर्शन के दौरान कहां थे। इनमें 400 शस्त्र लाइसेंसों का नवीनीकरण फिलहाल रोक दिया गया है।
देशभर में हुए थे विरोध प्रदर्शन
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोध में गुरुवार को उत्तर प्रदेश के कई जिलों में तोड़-फोड़ की गई, जिसमें कम से कम 17 लोग मारे गए और चल-अचल संपत्ति का नुकसान हुआ। इसमें ज्यादातर आगजनी की घटनाएं थीं। यूपी के साथ-साथ देश के कई हिस्सों में संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया।
संशोधित नागरिकता कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के उत्पीड़ित अल्पसंख्यक हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों, जैन, बौद्धों और पारसियों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है, जिन्होंने 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में शरण ली है।
आलोचकों का कहना है कि मुसलमानों को कानून के दायरे से बाहर रखना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत मौलिक अधिकार का उल्लंघन है और देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के खिलाफ है।