देश के आम बजट से पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने अहम बयान दिया है। टैक्स चोरी को अपराध और सामाजिक अन्याय बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा नागरिकों पर अधिक या मनमाना टैक्स लगाना भी समाज के प्रति अन्याय है। इसके लिए चीफ जस्टिस ने पुराने समय में प्रचलित टैक्स कानूनों का भी उदाहरण दिया।
आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के 79वें स्थापना दिवस समारोह पर आयोजित कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने कहा ,'2008 में, यूनाईटेड नेशन के विकास कार्यक्रम ने न्यायाधिकरण को विकासशील दुनिया से सफलता की कहानी के एक मामले के अध्ययन के रूप में लिया और इसे अन्य विकासशील देशों के लिए न्यूयॉर्क में यूएनडीपी ईवेंट में एक रोल मॉडल के रूप में पेश किया।'
'शहद की तरह वसूला जाए टैक्स'
जस्टिस बोबड़े ने कहा कि टैक्स चोरी करना आर्थिक अपराध के साथ देश के बाकी नागरिकों के साथ सामाजिक अन्याय भी है लेकिन अगर सरकार मनमाने तरीके से या फिर अत्यधिक टैक्स लगाती है तो ये भी खुद सरकार द्वारा सामाजिक अन्याय है। नागरिकों से टैक्स उसी तरह वसूला जाए, जिस तरह मधुमक्खी फूलों को नुकसान पहुंचाए बिना रस निकालती है। उन्होंने कहा कि टैक्सपेयर्स को उचित और शीघ्र विवाद समाधान मिलना चाहिए ताकि वो प्रोत्साहित हो सकें। इसके साथ ही एक कुशल टैक्स न्यायपालिका को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि टैक्सपेयर मुकदमेबाजी में ही न फंसे रहें।
'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की हो सकती है अहम भूमिका'
जस्टिस बोबडे ने न्यायपालिका में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में टेक्नोलॉजी का उपयोग अहम है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस निर्णय लेने में अहम भूमिका निभा सकता है। कई ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा कवर किया जा सकता है।
बता दें कि बोबडे का बयान ऐसे समय में आया है जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को देश का बजट पेश करने जा रही हैं। आमतौर पर न्यायपालिका इस तरह के मुद्दों पर बोलने से परहेज करती रही है। आर्थिक सुस्ती के बीच पेश होने वाले बजट के बीच जस्टिस बोबड़े का बयान अहम माना जा रहा है।