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बिपिन रावत होंगे देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, सरकार ने किया ऐलान

मोदी सरकार ने सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया है।...
बिपिन रावत होंगे देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, सरकार ने किया ऐलान

मोदी सरकार ने सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया है। अब वह तीनों सेनाओं की कमान संभालेंगे और उनके बीच तालमेल बैठाने का काम करेंगे। देर रात सरकार ने उनके नाम का ऐलान किया है। वहीं, सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। वे मंगलवार को रिटायर हो रहे हैं। उनकी जगह 28वें सेना प्रमुख के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवने लेंगे।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद 15 अगस्त को इस पद की घोषणा की थी। तभी से चर्चा चल रही थी कि इस पद पर बिपिन रावत की नियुक्ति होगी। पिछले दिनों सीडीएस पद को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) ने भी मंजूरी दे दी थी। सीडीएस, रक्षा मंत्रालय के तहत  बनाए जाने वाले नए विभाग, डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री एफेयर्स के प्रमुख (सेक्रेटरी) होंगे।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर और भाजपा प्रवक्ता बैजयंत जय पांडा ने जनरल रावत को नियुक्ति पर बधाई दी। इसके अलावा लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने भी उन्हें शुभकानाएं दी हैं। वहीं, ट्वीटर पर कुछ लोगों ने उनकी नियुक्ति पर नागरिकता कानून पर दिए हालिया बयान को लेकर सवाल उठाए हैं। 

65 साल तक रह सकते हैं पद पर

मंत्रालय ने 28 दिसंबर को जारी अधिसूचना में कहा है कि सीडीएस यानी तीनों सेनाओं का प्रमुख 65 साल की आयु तक पद पर रह सकता है। अधिसूचना में कहा गया है कि जनहित में जरूरी महसूस करने पर सरकार उप नियम 5 की उप धारा ए में बदलाव करके सीडीएस को सेवा विस्तार दे सकती है। सीडीएस अधिकतम 65 वर्ष की आयु तक कार्यरत रह सकता है।

कौन हैं जनरल रावत

जनरल रावत थल सेना प्रमुख के पद से 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं। मौजूदा नियम के मुताबिक तीनों सेनाओं के प्रमुख 62 वर्ष की आयु अथवा तीन साल तक (जो भी पहले हो) पद पर बने रह सकते हैं। इस समय रावत की आयु करीब 61 साल है। बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में हुआ था। उनका परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवा कर रहा है। उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी सेना में लेफ्टिनेंट जनरल रहे चुके हैं। साल 2011 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ में वह सैन्य-मीडिया शैक्षिक अध्ययन पर शोध के लिए डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी सम्मानित किए गए थे। हाल में नागरिकता कानून को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनो पर उन्होंने एक बयान दे दिया था, जिसे लेकर विपक्षी दलों ने उन पर निशाना साधा था। जिसके कारण खासे चर्चाओं में रहे।

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