मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, लेखकों की गिरफ्तारी को लेकर बसपा अध्यक्ष मायावती ने मोदी सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा कि दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के प्रति शोषण, अत्याचार और जमीन बेदखली के खिलाफ लड़ने वाले बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ सरकार दमनचक्र चला रही है।
मायावती ने कहा कि देश भर में जिस तरह से गिरफ्तारियां हुई हैं, ये सत्ता का दुरुपयोग और निरंकुशता की पराकाष्ठा है। इस घटना की जितनी निंदा की जाए वह कम है।
'विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए सरकार कर रही कार्रवाई'
मायावती ने कहा कि बीजेपी सरकार ने अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए ऐसी कार्रवाई की है। सरकार के इस रवैये से लोगों में आक्रोश है, जिसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। बसपा अध्यक्ष ने कहा कि बीजेपी सरकारों को अपनी जनविरोधी नीतियों के साथ-साथ लोकतंत्र विरोधी नीतियों और कार्यप्रणाली से बचना चाहिए। मायावती ने कहा कि नक्सल समर्थक के नाम पर देश के कई राज्यों से कवि, वकील, प्रोफेसर और बुद्धिजीवियों की गिरफ्तारी हुई है. वो सही नहीं है।
देश तानाशाही की तरफ बढ़ रहा है: लालू
वहीं, राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने कहा, ‘यह देश तानाशाही की तरफ बढ़ रहा है। पांच बुद्धिजीवियों की गिरफ्तारी से पता चलता है कि देश आपातकाल की तरफ बढ़ रहा है और मैं इसकी निंदा करता हूं।‘
5 लोगों की हुई गिरफ्तारी
भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामलों में मंगलवार को देश के कई हिस्सों में वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी और उनके ठिकानों पर छापेमारी हुई। इसमें पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा, वरवर राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरिया और वरनोन गोंजालवेस को गिरफ्तार किया गया। पुलिस की छापेमारी महाराष्ट्र, गोवा, तेलंगाना, दिल्ली और झारखंड में की गई।