गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में पुलिस हिरासत में हत्या शर्मनाक है और लोगों को इस घटना पर कभी जवाब मिलने में संदेह है। इंदौर में राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने रविवार को यह बात कही।
15 अप्रैल की देर रात प्रयागराज में अतीक और अशरफ को तीन लोगों ने पत्रकारों के रूप में तब मार डाला जब पुलिस कर्मी उन्हें स्वास्थ्य जांच के लिए अस्पताल ले जा रहे थे। उन्हें 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल की 24 फरवरी को हुई हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
सिब्बल ने कहा, "ऐसी कौन सी आपात स्थिति थी कि दोनों को इतनी देर रात मेडिकल जांच के लिए हथकड़ी लगाकर ले जाना पड़ा, वह भी पैदल? मीडिया को अस्पताल जाने का पता कैसे चला? अगर तीनों आरोपी एक-दूसरे को जानते ही नहीं तो कैसे आओ वे एक ही समय वहां पहुंचे? ऐसे सवाल हैं जो उठाए जा रहे हैं।"
मीडिया से बात करते हुए सिब्बल ने कहा, "इसमें संदेह है कि जनता को कभी भी इन सवालों के जवाब मिलेंगे। सबसे शर्मनाक बात यह है कि कुछ लोग इस हत्या का मज़ाक उड़ा रहे हैं और इस हत्या का जश्न मना रहे हैं जैसे कि उन्हें कानून की कोई आवश्यकता नहीं है।"
उन्होंने यह भी कहा कि गोली मारने के आरोपी अतीक और अशरफ गरीब परिवारों से हैं और ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं, जिससे पता चलता है कि जिन लोगों को शिक्षा या रोजगार नहीं मिल रहा है, वे इस तरह से कार्य कर सकते हैं।
नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए सिब्बल ने कहा कि संसद और चुनाव आयोग जैसे संस्थानों के साथ-साथ विश्वविद्यालयों पर सत्तारूढ़ सरकार ने कब्जा कर लिया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन जांच एजेंसी भारतीय जनता पार्टी के एक भी नेता को नहीं छू रही है।
एक सवाल के जवाब में सिब्बल ने कहा कि वह भले ही अब कांग्रेस में नहीं हैं लेकिन वह अभी भी खुद को कांग्रेसी मानते हैं क्योंकि वह पार्टी की विचारधारा को कभी नहीं छोड़ सकते, हालांकि उन्होंने पार्टी में वापसी की संभावना से इनकार किया। उन्होंने दावा किया, "मैंने एक साल पहले बयान दिया था कि मैं किसी भी पार्टी में शामिल नहीं होऊंगा, यहां तक कि अपनी मौत के वक्त भी मैं बीजेपी में शामिल नहीं होऊंगा।"